कानपुर

कानपुर ही नहीं लखनऊ तक लगता है इनकी चाट का चटकारा, सौ परिवार संभाल रहे पीढ़ियों से विरासत

कानपुर शहर के लक्ष्मीपुरवा के मंगलीप्रसाद हाता में रहने वाले साहू बिरादरी के सौ ज्यादा परिवार चाट-बताशे का का कारोबार कर रहे हैं। यहां पर परिवार के लोग दो शिफ्टों में ठेला लगाते हैं परिवार के कुछ लोग आसपास के शहरों में लोगों को चाट का दीवाना बना चुके हैं।

कानपुर,अमन यात्रा । आलू की चटपटी चाट, पानी वाले खट-मिट्ठे बताशे, दही भल्ले, मटर पापड़ी.., इतना पढ़ते ही शायद आपके मुंह में भी पानी आ गया होगा। जी हां, शहर में रहने वाले साहू परिवार की चाट का चटकारा कानपुर ही नहीं लखनऊ तक लग रहा है। पीढ़ियों से विरासत के तौर पर चाट का कारोबार बढ़ाते आ रहे साहू परिवार ने मैनचेस्टर से हटकर कानपुर को अलग पहचान देने का प्रयास किया है। उनकी चाट के दीवाने कानपुर में ही नहीं मिलते हैं बल्कि उनका कारोबार फतेहपुर, उन्नाव, हमीरपुर, कालपी, लखनऊ सहित दस से ज्यादा शहरों तक फैला है। साहू परिवार के इस कारोबार को अलग अलग शहरों में सौ ज्यादा परिवार संभाल रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन के बाद से परिवार के कुछ सदस्य आर्थिक मंदी के दौर से गुजरने पर मजबूर भी हैं।

मगंली प्रसाद के हाता में रहता चाट परिवार

पीढ़ियों से दे रहे चाट का स्वाद

रामलाल साहू कहते हैं कि साहू परिवार के सदस्यों के हाथों में स्वाद का हुनर कई पीढ़ियों से चला आ रहा है। सभी कारोबारी चाट का ठेला लगाते हैं और अलग व्यंजनों की बिक्री करते हैं। ठेले पर बिकने वाला सामान घर पर ही बनाते हैं, जिसमें घर की महिलाएं भी सहयोग करती हैं। सभी आइटम में खड़े मसालों को पीसकर मिलाया जाता है। इस वजह से स्वाद हमेशा अलग और खाने वाले को याद रहता है।

घर में बनाते सामान, शुद्धता का रखते ख्याल

रामू साहू बताते हैं कि कलक्टरगंज स्थित साहू दुकानदारों से सभी कारोबारी सामान खरीदते हैं। लंबे समय से पहचान होने के चलते सामान उधार भी मिल जाता है। शादी के सीजन में कुछ परिवार कैटरिंग का काम भी करते हैं। अनिल साहू बताते हैं कि ठेले पर आलू की टिक्की, पानी के बताशे, दही बड़े, मटर पापड़ी, मिर्चा, कचौड़ी सभी कुछ बिक्री करते हैं। यह सब घर में तैयार कराते हैं और शुद्धता का खास ख्याल रखते हैं। सुबह ही आलू उबालने के बाद टिक्की तैयार कर ली जाती है। बेहतर क्वालिटी के तेल में पकाकर दही, चटनी व मसाला मिलाकर पत्ता तैयार करते हैं, जिसे खाकर लोग स्वाद हमेशा याद रखते हैं।

लॉकडाउन में आर्थिक तंग हो गए

कोरोना संक्रमण के बाद लॉकडाउन में कारोबारी ठेला न लग पाने से आर्थिक तंगी का सामना करने को मजबूर हो गए। कई परिवारों से लोग मजदूरी तो कुछ ने दूसरा काम भी शुरू कर दिया। अब हाते में सीमित परिवार ही चाट का काम करके विरासत को बढ़ा रहे हैं। परिवार के ज्यादातर सदस्य दो शिफ्टों में काम करते हैं। पहली शिफ्ट सुबह की होती है, जिसमें पूड़ी सब्जी के साथ खस्ता, पकौड़ी, कचौड़ी, मूंग की दाल बरी, ब्रेड पकौड़ा बनाकर बेचते हैं। दूसरी शिफ्ट में चाट, दही बड़ा, मटर पापड़ी, बताशे, टिक्की का काम किया जाता है। राजन ने बताया कि सुबह की शिफ्ट वालों को भोर से ही काम पर लग जाना पड़ता है। जबकि शाम की शिफ्ट वाले देर रात तक काम करते हैं।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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