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काहे की अवकाश तालिका जब छुट्टियों में भी खुलते हैं स्कूल

शिक्षकों की छुट्टियों के नाम पर लोग तरह तरह की बातें करते हैं और बेसिक शिक्षकों पर छुट्टी को लेकर तंज कसते रहते हैं लेकिन हकीकत कुछ और है जिससे लोग वाकिफ नहीं हैं।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। शिक्षकों की छुट्टियों के नाम पर लोग तरह तरह की बातें करते हैं और बेसिक शिक्षकों पर छुट्टी को लेकर तंज कसते रहते हैं लेकिन हकीकत कुछ और है जिससे लोग वाकिफ नहीं हैं। शासन ने पहले ही महापुरुषों की जयंती पर होने वाले अवकाशों को समाप्त कर दिया है।

इसके अलावा बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी अवकाश तालिका में कई अन्य प्रकार के अवकाशों को भी समाप्त कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी 2023 की अवकाश तालिका में कुल 33 अवकाशों को जगह दी गई है जिनमें से 8 अवकाश रविवार को हैं जो सूची में अंकित हैं। इसके अलावा 6 अवकाश ऐसे अंकित हैं जिनमें शिक्षकों को विद्यालय बुलाया गया है।

इस प्रकार शिक्षकों को मात्र 19 अवकाश मिल रहे हैं जबकि अवकाश तालिका में 33 छुट्टियां दर्शाई गई हैं जिससे अन्य विभागों के लोग बिना जाने, बिना सोचे समझे ऊलजलूल कमेंट करने लगते हैं जबकि उन्हें हकीकत पता नहीं होती। इन हालातों में यदि शिक्षकों को मिलने वाली छुट्टियों की तुलना प्रशासन, राजस्व एवं अन्य विभागों से करें तो यह कमतर हैं। आरटीई ने स्कूलों में 220 कार्यदिवस अनिवार्य किए हैं। इन हालातों में यह इससे अधिक हो जाएंगे।

अनसुनी कर दी शिक्षक संघों की मांग-
शिक्षक संघों ने मांग की थी कि अवकाश सूची में गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती, सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती जैसे अवकाशों को सूची में शामिल न किया जाए क्योंकि इन अवकाशों पर स्कूल खुलते हैं और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसे देखते हुए इन अवकाशों को अवकाश तालिका में अंकित न किया जाए।
इस मांग को बेसिक शिक्षा परिषद ने दरकिनार कर दिया और ऐसी अवकाश तालिका जारी कर दी जिसमें कि कई अवकाश ऐसे अंकित हैं जिसमें शिक्षकों को विद्यालय जाना होता है। कुछ शिक्षकों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष अवकाश कम किए जा रहे हैं इससे माहौल प्रभावित हो रहा है। बच्चों व शिक्षकों को भी मानसिक तौर पर आराम की जरूरत होती है। शिक्षकों को चुनाव संबंधी कार्य, जनगणना और पोलियो जैसे अन्य गैर शैक्षणिक अनेकों कार्य अवकाश के दिनों में ही करने पड़ते हैं इस पर भी शासन को गौर करना चाहिए।
जब ऐसे ही विद्यालय हर अवकाश पर खुलवाना है तो वार्षिक कैलेंडर जारी करने का क्या फायदा-
शिक्षकों का कहना है कि विभागीय अधिकारी बेसिक शिक्षा परिषद की अवकाश तालिका बनाते ही क्यों हैं
जब आदेश अवकाश के इतर रात के 12 बजे एक दिन पहले जारी होता है कि आज स्कूल खुले रहेंगे। प्रत्येक वर्ष पूरे साल का कैलेंडर 31 दिसंबर को जारी करते हैं मीडिया में छाया रहता है कि अध्यापकों को मिलेंगे इतने दिन का अवकाश और फिर प्रतिदिन अवकाश को कैंसिल करने का आदेश देते रहते हैं। इसका स्पष्ट रूप से अवकाश तालिका में अंकन होना चाहिए। अवकाश तालिका के अनुसार अवकाश होने की जानकारी बच्चों को दे दी जाती है पुनः उन्ही बच्चों को सुबह फोन करके बार बार बताया जाता है कि आज विद्यालय आना है तो वह भी यही सोचते हैं की मास्टर जी को कुछ अता पता नहीं रहता है और बच्चे भी उस दिन विद्यालय नहीं आते। आते भी हैं तो बहुत कम।
जब किसी भी जयंती को अगर विद्यालय में मनाना ही है रविवार के दिन विद्यालय खुलवाना ही है तो फिर
इस बार बेसिक शिक्षा परिषद की अवकाश तालिका जारी न की जाए।
जब अवकाश तालिका जारी होगी तो हर तरफ एक ही बात होगी कि शिक्षकों को इतने अवकाश मिलते हैं
लेकिन जब उसी अवकाश के दिन विद्यालय खुलवाया जाता है तो कहीं भी उस अवकाश को रद्द करने का जिक्र नहीं होता है। छुट्टियों को लेकर फर्जी में शिक्षकों को बदनाम किया जाता है।
संडे को पड़ने वाले त्योहार-
यूपी बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा घोषित अवकाश तालिका में कई अवकाश इस साल रविवार को ही पड़ें हैं।
6 ऐसे दिन अवकाश तालिका में अंकित जब खुलते हैं विद्यालय-
गणतंत्र दिवस, संत रविदास जयंती, डा. भीमराव आंबेडकर जन्म दिवस, स्वतंत्रता दिवस, महात्मा गांधी जयंती और सरदार वल्लभभाई पटेल जन्म दिवस पर शिक्षण कार्य स्थगित रहता है पर इन दिनों पर शिक्षकों और छात्रों को स्कूल में उपस्थित होकर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और गोष्ठी करनी होती है।

गर्मी और सर्दी की होगी छुट्टी –
बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में 20 मई से 15 जून तक ग्रीष्मावकाश रहता है वहीं 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश रहता है। स्थानीय स्तर पर जिलों के डीएम अवकाश दे सकते हैं जबकि मुस्लिम त्योहार चंद्र दर्शन के अनुसार बदल सकते हैं। हरितालिका तीज, करवाचौथ, संकट चतुर्थी, हलषष्ठी और अहोई अष्टमी में केवल शिक्षिकाओं को ही अवकाश मिलता है।

Author: aman yatra

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