कानपुर देहात,अमन यात्रा : कृषि अधिकारी डॉ उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि नैनो यूरिया का प्रयोग कर गुणवत्तायुक्त उत्पादन करें किसान नैनो यूरिया(तरल) नैनो तकनीकि पर आधारित एक अनोखा नाइट्रोजिनस उर्वरक है जिसको फसल की क्रान्तिक अवस्थाओं पर नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की सफलता पूर्वक आपूर्ति हो जाती है। जिससे उत्पादन और उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि के साथ-2 पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। सामान्य यूरिया का प्रयोग करने पर पौधों द्वारा केवल 30-35 प्रतिशत नाइट्रोजन ही पौधों के द्वारा उपयोग में लाया जाता है शेष वाष्पीकरण के द्वारा वायुमण्डल में या पानी के साथ घुलकर लीचिंग के द्वारा अन्य स्थानों पर चला जाता है। 45 किग्रा यूरिया के स्थान पर 500 मिली0 नैनो यूरिया का प्रयोग किया जा सकता है।
नैनो यूरिया के लाभः-
२-गुणवत्तायुक्त अधिक उपज पाने में सहायक होती है तथा बिना उपज प्रभावित किये सभी फसलों के लिए उपयोगी है।
उपयोग की विधिः- नाइट्रोजन की आधी मात्रा दानेदार यूरिया तथा आधी मात्रा नैनो यूरिया से पूर्ति करें। नाइट्रोजन की कम आवश्यकता वाली फसलों में 2 मिली0 तथा अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता वाली फसलों में 4 मिली0 नैनो यूरिया/लीटर पानी की दर से पत्तियों पर छिड़काव करें। दलहनी फसलों मेें एक बार तथा अनाज, तेल, सब्जी, कपास, गन्ना व आलू इत्यादि फसलों में 2 बार नैनो यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है। 1 एकड़ खेत के लिए प्रति छिड़काव लगभग 125 ली0 पानी की आवश्यकता होती है।
उपयोग करते समय सावधानियाँः-
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