गोरखपुर, अमन यात्रा । मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना सम्पन्न करने के बाद शुक्रवार की सुबह से ही नाथ परंपरा के मुताबिक होने वाली विजयादशमी आराधना की शुरुआत की। शुरुआत श्रीनाथ जी के विशिष्ट पूजन से हुई। नाथ पंथ के विशिष्ट वाद्ययंत्र नागफनी, डमरू और शंख की गूंज के बीच विधि-विधान के साथ उन्होंने पहले श्रीनाथ जी और फिर मंदिर में मौजूद सभी देव-विग्रहों की पूजा-अर्चना कर आरती उतारी और भोग लगाया।
पूजन का सिलसिला उस शक्तिपीठ से शुरू हुआ, जहां नवरा़त्र के दौरान पूरे नौ दिन मां भगवती यानी आदिशक्ति की आराधना हुई थी। मुख्यमंत्री ने मां आदिशक्ति के दरबार में हाजिरी लगाई। उसके बाद गाजे-बाजे की धुन की गूंज के बीच विशिष्ट पूजन के लिए श्रीनाथ जी के दरबार में पहुंचे। आधे घंटे से ज्यादा समय तक लगातार उन्होंने परंपरागत शैली में मोरपंख हिलाकर और घंटी बजाकर श्रीनाथ जी की पूजा की।
उसके बाद वह मंदिर परिसर में मौजूद सभी देव विग्रहों के दरबार में भी गए और उन्हें भी विजयादशमी के पावन अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा। सभी देव विग्रहों को भोग लगाकर उन्होंने श्रीनाथ जी की विशिष्ट पूजा सम्पन्न की। इसी क्रम में मुख्यमंत्री मंदिर की गोशाला में भी गए और वहां गो-सेवा की। गोशाला में उन्होंने गाय और बछड़ों की पूजा की और उन्हें भी भोग लगाया। इस दौरान नागफनी, शंख और डमरू की धुन से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान रहा।
गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी का दूसरा आयोजन तिलकोत्सव है, जो दोपहर एक बजे से शुरू होकर तीन बजे तक चलेगा। इस दौरान संत, योगी और भक्त गोरक्षपीठाधीश्वर को तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद लेंगे। शााम चार बजे शस्त्र पूजन के बाद भव्य विजयशोभा यात्रा निकलेगी। गोरक्षपीठाधीश्वर विजयरथ पर सवार होकर मानसरोवर मंदिर पहुंचेंगे और वहां वह शक्ति आराधना करने के बाद रामलीला मैदान में भगवान राम का तिलक करेंगे। रामलीला के मंच से मुख्यमंत्री का संबोधन भी होगा, जिसमें वह विजयादशमी का महत्व बताते हुए प्रदेशवासियों की पर्व की बधाई देंगे। देर शाम मंदिर परिसर में सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए सहभोज का कार्यक्रम आयोजित है।