घाटमपुर तहसील क्षेत्र में पिछले 11 दिन में 6 नई उम्र के छात्र-छात्राओं ने फांसी लगाकर दी जान
घाटमपुर तहसील क्षेत्र के नगर समेत विभिन्न गांव में बीते 11 दिनों में 6 नई उम्र के लड़कों एवं लड़कियों ने फांसी के फंदे में लटक कर जान दे दी। जो कि इस समय तहसील क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

- तहसील क्षेत्र में बना चर्चा का विषय
घाटमपुर, कानपुर नगर : घाटमपुर तहसील क्षेत्र के नगर समेत विभिन्न गांव में बीते 11 दिनों में 6 नई उम्र के लड़कों एवं लड़कियों ने फांसी के फंदे में लटक कर जान दे दी। जो कि इस समय तहसील क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। इनमें सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले तीन दिनों में शनिवार, रविवार, सोमवार को लगातार तीन दिन क्षेत्र के अलग-अलग जगह पर तीन नई उम्र के लोगों ने फांसी पर लटककर अपनी जान दी है।
पहली घटना घाटमपुर तहसील क्षेत्र के तेजपुर गांव में पिछले शुक्रवार को हुई, जहां तहसील क्षेत्र के तेजपुर गांव में अश्वनी के 17 वर्षी पुत्र उत्कर्ष ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। वहीं दूसरी घटना शुक्रवार घटना के दो दिन बाद पिछले रविवार को तहसील क्षेत्र के भदरस गांव में हुई। जहां गांव निवासी रामू कश्यप की 16 वर्षीय पुत्री रक्षा उर्फ बिट्टन ने घर में छत में लगी टीन के एंगल से दुपट्टे के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। वहीं तीसरी घटना बीते बुधवार को हुई।
जहां पतारा कस्बा निवासी स्वर्गीय लाखन की 15 वर्षीय पुत्री प्रिया ने रस्सी के सहारे छत के कुंडे से फांसी लगाकर जान दे दी। चौथी घटना बीते शनिवार को हुई, जब थाना घाटमपुर के जाजपुर चौकी अंतर्गत हथेरुआ गांव निवासी अभिमन्यु की 19 वर्षीय पुत्री सोनम ने पंखे के कुंडे से रस्सी के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। पांचवीं घटना रविवार देर शाम घाटमपुर कस्बे के आछी मोहाल उत्तरी मोहल्ले में हुई। जहां द्वारिका सविता की 15 वर्षीय पुत्री गौरी ने घर के कमरे में पंखे के कुंड से दुपट्टे के सारे फांसी लगाकर जान दे दी।
घटना के वक्त गौरी के मम्मी पापा कानपुर गए थे। वापस लौटे तो बेटी को फांसी के फंदे पर लटका देखा। वही ताजा घटना सोमवार को घटी जब देर शाम पतारा चौकी अंतर्गत जहांगीराबाद गांव के मजरा रहमपुर में राम सजीवन के 19 वर्षीय पुत्र मोहित ने कमरे में गले में फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी। 11 दिन में हुई 6 घटनाओं में जहां सभी नई उम्र के नवयुवक है। जिनमें से चार लड़कियां है।वही जान देने वाले दो लड़के हैं। जान देने वाली लड़कियों में दो नाबालिक है।
वहीं लड़कों में एक लड़का नाबालिक है पर किसी की भी उम्र 20 वर्ष से ऊपर नहीं है। सोचने वाली बात है कि क्या कारण है कि लगातार नई उम्र के नवयुवक इस तरीके से जान दे रहे हैं। कहीं ना कहीं नई उम्र के छात्र-छात्राओं के लिए प्रशासन एवं समाजसेवी संगठनों द्वारा काउंसलिंग अभियान चलाने की आवश्यकता है। जिससे कि आने वाले समय में उक्त घटनाएं नवयुवक ना दोहरा सके।
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