जन उपयोगी सुविधाओं की होती बदहाली से पात्र जनता परेशान, कर्मचारियों,अधिकारियों की मौज
ये कैसा सामाजिक न्याय है गरीब के लिए कुछ और,अमीर के लिए कुछ और ये कैसा कानूनी मापदण्ड हैं,जब संविधान में हर एक व्यक्ति को समान नागरिकता का अधिकार हैं, उसके बाद वो कौन लोग हैं यह अपने आप निर्धारित कर देते हैं कि किसे प्राथमिकता देना हैं किसे नही देना हैं?
ये कैसा सामाजिक न्याय है गरीब के लिए कुछ और,अमीर के लिए कुछ और ये कैसा कानूनी मापदण्ड हैं,जब संविधान में हर एक व्यक्ति को समान नागरिकता का अधिकार हैं, उसके बाद वो कौन लोग हैं यह अपने आप निर्धारित कर देते हैं कि किसे प्राथमिकता देना हैं किसे नही देना हैं? यह एक ऐसी सच्चायी जिसे कोई नकार नही सकता है अगर प्रतिदिन के समाचार को उठाकर देखा जाये तो आप स्वयं कहेंगे कि यही सत्य हैं जब सरकारे बड़े बड़े वादे करती हैं तो उसके बावज़ूद वो इस व्यवस्था को सही करने की दिशा में कोई ठोस कदम क्यों नही उठाती हैं?आखिर क्या कारण हैं? आखिर जानबूझकर सरकारे इससे अनभिग क्यों बनी हुई हैं?
उत्तर प्रदेश में अनगिनत घटनाएँ हर रोज हो रही हैं जब पीड़ित अपनी फरियाद लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहें हैं लेकिन अधिकारी और कर्मचारी हैं कि उन्हे सुनने को राजी नही हैं आखिर क्या कारण हैं? मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी पीड़ित अपनी समस्याओं को एक बड़े रूप में दर्ज करवा रहे हैं लेकिन उनकी समस्याओं का झूठा समाधान लिखकर फीडबैक भेज दिया जाता हैं आज आप किसी भी घटित होने वाली घटना की पूरी पड़ताल करें तो आपको सच्चाई पता चल जायेगी।
आखिर क्या वजह हैं कि कोई सरकार जन उपयोगी स्कीम लेकर आती हैं और जब वह सरकार बदल जाती हैं तो जो दूसरी सरकारे आती हैं तो वो पुरानी स्कीम पर ध्यान ही नही देती हैं और उन्हे लगातार नजरअंदाज़ करने लगती हैं जिसकी वजह से वह स्कीम पूरी तरह से बर्बाद हो जाती हैं जिसका असर उस जनता पर पड़ता हैं जो उस स्कीम के जुड़ी होती हैं जिसे उसका लाभ मिल रहा होता हैं। सरकारे जो भी स्कीम लाँच करती हैं वो सभी जनता के लिए ही तो होती हैं फिर क्यों इनके साथ भेदभाव किया जाता हैं क्या सरकारो को नही पता होता हैं कि हम जिन स्कीमों नजरअंदाज करते है उनसे बहुत सारे लोग जुड़े होते हैं उनपर उसका बुरा प्रभाव पड़ता हैं।
सामाजिक उत्थान हेतु यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी होती है कि आपके द्वारा जो भी स्कीम या योजनायें चलाई जा रही है वो सही रूप में उस पात्र व्यक्ति तक पहुंच रही हैं या नहीं जो इस योजना की पात्र हैं। उत्तर प्रदेश में आज भी राशन कार्ड में बड़े रूप में अनियमत्ताएं हैं जिनकी वजह से गरीब पात्र जनता सरकारी कार्यालय के चक्कर काट रही है।इसी तरह से आयुष्मान योजना धरातल पर दम तोड़ रही है, अपात्र इस योजना से लाभ ले रहे हैं और पात्र सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के आगे पीछे चक्कर लगा रहे हैं क्या सरकार को यह नहीं सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि कैंपों के माध्यम से कितने ऐसे लोग हैं जो सरकारी योजनाओं से वंचित हैं उनकी जांच करनी चाहिए कि कैसे पात्रता होने के बावजूद गांव की लोकल सरकारे अपनी मनमर्जी से अपने कुछ खास लोगों को इन योजनाओं से जोड़कर लाभ दे देते हैं बिना किसी जांच के, कर्मचारी और जिम्मेदार अधिकारी उसे स्वीकृति प्रदान कर देते हैं, जबकि कई पात्र लोग उसके लिए कार्यालयों के चक्कर ही लगाते रहते हैं इस व्यवस्था के सही और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी होती है, जिससे सरकार कहीं ना कहीं अनदेखा करती है जिसकी वजह से जनता को परेशानी होती है कोई भी योजना जो जनहित में सरकार के द्वारा चलाई जाती है उसकी सही रूप में निगरानी करना सरकार की जिम्मेदारी होती है, और पोर्टल की विश्वसनीयता को कैसे बरकरार रखा जाए इस पर विशेष रूप से कार्य होना चाहिए और इसकी समुचित निगरानी जिले स्तर पर की जानी चाहिए।