साहित्य जगतकविता
जय स्कंदमाता
केहरी वाहन हो आरोहित शुभ्र वर्ण से हो सुशोभित चार भुजाओं से विभूषित करें कमलासन पर विश्राम

केहरी वाहन हो आरोहित
शुभ्र वर्ण से हो सुशोभित
चार भुजाओं से विभूषित
करें कमलासन पर विश्राम
दो हाथों में जलज विराजे
आंचल में प्रिय तनुज साजे
स्कंद कुमार की तुम माता
अभिहित होती स्कंद माता
संतति सुख करती प्रदान
दे देती मूढ़ी को अति ज्ञान
पंचमी तिथि में पूजी जाती
करती चेतना का निर्माण
डालें स्वयं पर्वतो पर डेरा
देती सब को तुम बसेरा
कई नामों से तुम्हें पुकारा
हो सांसारिको का सहारा
मीनाक्षी शर्मा ‘मनुश्री’गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
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