नाम की डोर पकड़ कर सतपुरुष के पास पहुंच जाओ, पूरी ताकत आप में आ जायेगी और मिलेगा जन्म-मरण से छुटकारा
सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 6 जून 2022 को वलसाड़ (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो लोग नामदानी हो, बहुत भाग्यशाली हो कि यह मनुष्य शरीर और नाम मिल गया।

- जब मौत आ जाएगी तो आप कुछ नहीं कर पाओगे इसलिए नाम को जगाओ
- परमार्थिर्यों को हमेशा हथेली पर मौत को रखना यानी याद रखना चाहिए
वलसाड,गुजरात,अमन यात्रा : निजधामवासी सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय धरती पर नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, प्रकट सन्त, सभी जीवों के पिता सतपुरुष के साक्षात अवतार, दुःखहर्ता अंतरयामी सर्वशक्तिमान सर्वत्र विराजमान त्रिकालदर्शी इस समय के जीते जागते चलते-फिरते मसीहा महापुरुष समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 6 जून 2022 को वलसाड़ (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो लोग नामदानी हो, बहुत भाग्यशाली हो कि यह मनुष्य शरीर और नाम मिल गया। ऐसी अनमोल चीज मिल गई जिसकी कोई कीमत लगाई नहीं जा सकती, जिसके लिए गोस्वामी जी ने कहा-
कलियुग केवल नाम अधारा।
सुमिर-सुमरि नर उतरहिं पारा।।
नाम लेतु भव सिंधु सुखाही।
सुजन विचार करो मन माही।।
तो वह नाम रूपी रत्न आपको मिल गया। अब उसकी कमाई न करो तो कैसे बढ़ेगा?
राजा और किसान को महात्मा द्वारा दिए गए चने का दृष्टांत
एक राजा और एक किसान ने एक महात्मा से नामदान लिया। महात्मा जी ने दोनों को एक-एक चना दे दिया, कहा कि ले जाओ इसको, संभालना और बढ़ाना। राजा तो चने को मढ़वा कर गले में पहन लिया कि गुरु जी ने प्रसाद रूप में दिया है। किसान गया जमीन में डाल दिया। उसका पौधा निकल आया। एक दाने चने से बहुत से दाने हो गए। वह सारे डाल दिया और बहुत से हो गए। बहुत सारा ढेर लग गया। एक दिन महात्मा जी गए, राजा और किसान दोनों से मिले। महात्मा जी ने कहा दोनों को मैंने चना दिया था, कहां है? राजा बोला बढ़ाया तो नहीं लेकिन सुरक्षित है। किसान ने कहा गुरु जी आपके एक चने से हमने बहुत सा चना पैदा कर लिया, पूरी ढेर लगी हुई है। तब महात्मा जी ने कहा राजन तुझको बढ़ाने के लिए दिया गया था, सुरक्षित रखने के लिए नहीं दिया था।
नामदान जिंदगी के साथ चला जाए, बढ़ न पावे, स्वर्ग, बैकुंठ, अंड, पिंड, ब्रह्मांड देख न पावे तो बेकार जाएगा
ऐसे ही नाम दान जो आपको दिया है, यह जिंदगी के साथ चला जाए, बढ़ न पावे, नाम का सहारा लेकर आप ऊपर जा न पाओ, स्वर्ग बैकुंठ ब्रह्मांड अलख लोक देख न पाओ तो यह बेकार जाएगा ।
परमार्थियो को मौत को हथेली में रखना चाहिए
इस समय किसी के जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। सुबह आदमी घर से निकले शाम तक घर में वापस आ जाएगा कोई गारंटी नहीं। समय निकल गया तो फिर आप क्या कर पाओगे ।? कुछ नहीं। इसलिए कहा गया है कि परमार्थीयों को मौत को हमेशा याद रखना चाहिए, हथेली पर मौत को रखना चाहिए। सब जगह हाथ की जरूरत पड़ती है। जैसे कोई हथेली में चीज लग जाए बराबर नजर जाएगी, ऐसे मौत को सामने रखो, पता नहीं कब आ जाए। मौत से डरत रहो दिन रैन, पता नहीं कब आ जाए।
जब मौत आएगी तो आप कुछ नहीं कर पाओगे इसलिए जो समय बचा है उसमें नाम को जगाओ
नाम को जगाओ, नाम की डोर को पकड़ करके सबके बादशाह, सिरजनहार, पिता सतपुरुष के पास पहुंच जाओ। वह अपने ही रूप में आपको बना देगा। पूरी ताकत आप में आ जाएगी। फिर नीचे उतरना नहीं होगा। जन्म मरण से छुटकारा मिल जाएगा। यह मृत्युलोक परिवर्तनशील है, ये खत्म होते हैं। यहाँ फिर आपको नहीं आना पड़ेगा। मोटी बात जो लोग नामदान लिए हैं, भजन ध्यान सुमिरन लगातार करो।
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