परिषदीय स्कूलों में कक्षा छह से आठ तक लागू होगा अनुभूति पाठ्यक्रम
बेसिक शिक्षा परिषद के 45 हजार से अधिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में पहली बार अनुभूति पाठ्यक्रम लागू होगा।

- इससे स्कूली बच्चों में विकसित होगी जीवन मूल्यों की समझ
कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा परिषद के 45 हजार से अधिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में पहली बार अनुभूति पाठ्यक्रम लागू होगा। इन स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा छह से आठ तक के 50 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं में जीवन मूल्यों की समझ विकसित की जाएगी ताकि किताबी ज्ञान हासिल कर वे न सिर्फ सफल अफसर, नेता, डॉक्टर, इंजीनियर बनें बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में देश के विकास में योगदान देने के योग्य बनें।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने मनोविज्ञान एवं निर्देशन विभाग के विशेषज्ञों को अनुभूति पाठ्यक्रम हैंडबुक विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी है।समाजिक भावनात्मक अधिगम एवं मूल्यों की समझ विकसित करने के लिए संस्थान में मंगलवार से कार्यशाला शुरू होगी। कक्षा छह, सात व आठ के लिए अलग-अलग तैयार हो रहे पाठ्यक्रम के जरिए छात्र-छात्राओं में जीवन मूल्यों की समझ विकसित की जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को आधार बनाया गया है।
इन सिद्धांतों के आधार पर बनाएंगे पाठ्यक्रम-
बच्चों के व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए एनईपी में दिए गए मूलभूत सिद्धांतों के आधार पर शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, नैतिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय, मूल्य, शांति एवं सौहार्द, सामाजिक, संवैधानिक व जीवन कौशल को आधार बनाया गया है। बच्चे मूल्यों की अनुभूति तब कर पाएंगे जब उनमें ज्ञान और समझ होगी और क्रिया के माध्यम से उसे आत्मसात करेंगे। कक्षा में अध्यापन के जरिए ज्ञान और समझ विकसित करेंगे फिर प्रेरक प्रसंगों, कहानियों व प्रश्नों आदि क्रियाविधि के जरिए स्वयं सीखने, निर्णय लेने में सक्षम बनाएंगे।
ऊषा चन्द्रा निदेशक मनोविज्ञानशाला का कहना है कि मानव जीवन के सर्वागीण विकास एवं निरंतर प्रगति के लिए शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। है। शिक्षा सीखने और समझने में तत्परता लाने, ज्ञान, मूल्यों और सदृणों को प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है। विभिन्न विषयों के अध्ययन के अतिरिक्त विद्यार्थियों के जीवन में मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
Discover more from अमन यात्रा
Subscribe to get the latest posts sent to your email.