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आने वाला है सुहागिनों का पर्व करवा चौथ, सुहाग के साथ समृद्धि की होगी कामना, जानें- तारीख व शुभ मुहूर्त

भारतीय संस्कृति में त्योहार न केवल हमे हमारी परंपराओं से परिचित कराते हैं बल्कि हमारे अंदर आस्था और विश्वास जगाने का भी काम करते हैं। यही वजह है कि विकास के दौर में भी ईश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा कम नहीं हुई है।

लखनऊ अमन यात्रा । भारतीय संस्कृति में त्योहार न केवल हमे हमारी परंपराओं से परिचित कराते हैं बल्कि हमारे अंदर आस्था और विश्वास जगाने का भी काम करते हैं। यही वजह है कि विकास के दौर में भी ईश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा कम नहीं हुई है। सुहागिनों का पर्व करवा चौथ पर चांद के दीदार की बेकरारी त्योहार के उल्लास में चार चांद लगा देते हैं। पौराणिक ग्रंथों के साथ ही सामाजिक मान्यताएं हमें अपने धर्म के प्रति धर्मनिष्ठ बनाती हैं। इसी मंशा के चलते हम हर त्योहार को अपने ढंग से मनाने में आगे रहते हैं।

इस बार चांद के दीदार का पर्व करवा चौथ भले ही 24 अक्टूबर को है, लेकिन बाजार अभी से तैयार हैं। करवा चौथ पर पूजन सामग्री के साथ ही डिजाइनर करवे भी बाजार में मौजूद हैं। चांदी के करवे के साथ ही सोने के पानी चढ़े करवे भी बाजार में मौजूद हैं। चौक के सिद्धार्थ जैन ने बताया कि हर रेंज के आकर्षक करवे बनवाए गए हैं। आलमबाग के रामकुमार वर्मा ने बताया कि महिलाओं के लिए श्रृंगार का सामान भी बनाया गया है। कम रेंज में आकर्षक आभूषण महिलाओं को रास आएंगे। नवरात्र में खरीदारी शुरू होगी।

रात्रि 8:07 बजे निकलेगा चांद : आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि 24 अक्टूबर को चतुर्थी शाम 5:45 बजे से 6:59 बजे तक पूजन का शुभ मुहूर्त है। इस बार करवा चौथ में चांद का पूजन विशेष फलदायी होगा। चंद्रमा का पूजन स्त्रियों के लिए पति और बच्चों के लिए अच्छा रहेगा। करवाचौथ का पूजन चंद्रोदय के पहले करना उत्तम होगा। चंद्रोदय रात 8.07 बजे होगा। इससे पहले प्रदोष बेला में 7.30 बजे तक पूजन कर सकते हैं। चतुर्थी 23 को सुबह 3:01 बजे से शुरू होकर 25 अक्टूबर को 5:43 बजे तक रहेगी।

करवे की टोटी से आता है जाड़ा : आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि मान्यता है कि धातु से बने करवे से चौथ का पूजन करना फलदायी होता है, लेकिन यथा शक्ति मिट्टी के करवे से पूजन भी किया जा सकता है। इस दिन के बाद से ही ठंड शुरू हो जाती है। कहा जाता है कि करवे की टोटी से ही जाड़ा निकलता है और धीरे-धीरे वातावरण में ठंड का एहसास बढ़ जाता है।

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Author: aman yatra


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