पूर्वांचल में किसानों पर आफत की बारिश, धान की 50 फीसद फसल नष्ट
बेमौसम बारिश धान की लगभग तैयार फसल के लिए आफत बनी हुई है। खेतों में अधिकांश धान की फसल लेट गई है। इसके अलावा बारिश के चलते फसल में फंगस भी लग सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की है कि इससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है।

इस बार देर से खाली होंगे धान के खेत, गेहूं की खेती भी पिछड़ेगी
इस बार धान की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जिले में 933 गांवों में धान की फसल बाढ़ के चलते प्रभावित हुई थी। औसतन करीब 40-50 फीसद किसानों को नुकसान हुआ है। धान की बची-खुची फसल पिछले दो दिनों से बारिश व आंधी की मार झेल रही है। यह समय धान की फसल पकने का है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय बारिश होने से धान की फसल में झुलसा, हरदिया रोग लग सकता है। इस बार औसत से अधिक बारिश के चलते खेतों में पहले से पानी लगा था। जहां पानी सूख चुका था, वहां नमी बरकरार थी।
ऐसे में जहां फसल पूरी तरह तैयार हो चुकी है, वहां भी किसान फसलों की कटाई नहीं कर पा रहे थे। वह प्रतीक्षा कर रहे थे कि खेत सूखे तो हार्वेस्टर से फसल कटवाएं, लेकिन रविवार से जारी बारिश ने बची खुची उम्मीद पर पानी फेर दिया है। पिछले चौबीस घंटे में करीब 20 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। कैंपियरगंज, पीपीगंज, पिपरौली, सहजनवां, गोला, बड़हलगंज सहित अधिकांश विकास खंडों में धान की अधिकांश फसल आंधी की फसल जमीन पर लेट गई है। ऐसे में किसान अपनी फसलों को लेकर बेहद चिंतित हैं।
देर से शुरू होगी रवी की खेती
बाढ़ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण जिले के अधिकांश किसान लेट वेराइटी के धान खेतों में बोते हैं। ताकि खेत के सूखने पर वह फसलों की कटाई करके, उसकी जुताई करके उसे रवी की खेती के तैयार कर सकें। सामान्य तौर पर किसान 15 नवंबर तक गेहूं की बुआई शुरू कर देते हैं, लेकिन इस बारिश के चलते गेहूं की बुआई देर से शुरू होगी।
आलू की खेती भी प्रवाभित
धान का खेत खाली होने पर के बाद किसान आलू की खेती शुरू करते हैं, लेकिन इस बार आलू की खेती भी प्रभावित होगी। देर से खेती करने पर फसल की गुणवत्ता व उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।
धान की जो फसल तैयार हो चुकी है, उसके लिए बारिश बेहद नुकसानदायक है। इससे धान में सड़न शुरू हो सकती है। धान की जो बालियां तैयार हो रही हैं, उसमें फसल के बचाव के लिए अंतरवाही कीटनाशक हेक्साकोनाजोल अथवा प्रोपीकोनाजोल का उचित मात्रा में छिड़काव करके बचाव करना चाहिए। किसान ध्यान दें तो अभी धान की फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। – संजय यादव, जिला कृषि रक्षा अधिकारी।
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