फल खिलाने में शिक्षकों ने अपनी जेब से खर्च किए लाखों रुपए

मध्याह्न भोजन योजना में बजट की कमी परिषदीय शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे-मील)  उधारी पर चल रही है।

अमन यात्रा,  लखनऊ / कानपुर देहात : मध्याह्न भोजन योजना में बजट की कमी परिषदीय शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे-मील)  उधारी पर चल रही है। शिक्षक जेब से सब्जी, दाल, तेल, मसाले, दूध, फल आदि सामग्री खरीद कर अपनी नौकरी बचा रहे हैं क्योंकि पिछले छह महीने से कन्वर्जन कास्ट नहीं मिली है। योजना चलाने के लिए शासन गेहूं और चावल तो नियमित रूप से उपलब्ध करा रहा है लेकिन भोजन को पौष्टिक बनाने और विद्यार्थियों को मानकों के अनुरूप पोषण देने के लिए दिए जाने वाले अन्य खाद्य के लिए कन्वर्जन कास्ट नहीं भेज रहा है जबकि विद्यालयों में भोजन बन रहा है या नहीं इसकी नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जा रही है। ऐसे में लापरवाही के आरोप और निलंबन से बचने व नौकरी बचाने को शिक्षक जेब से खाद्य सामग्री खरीदकर योजना को जैसे-तैसे चला रहे हैं।
6 माह से बच्चों के फलों के वितरण के लिए भी बजट नहीं मिला है। इसके चलते गुरुजी बच्चों को फल खिलाने में अब तक लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं। फल का बजट, मध्याहन भोजन में शामिल हैं फलों के वितरण के तहत सप्ताह में एक दिन फल बांटना होता है। प्रत्येक माह 16 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से धन दिया जाता है।
विद्यालयों में 70 प्रतिशत उपस्थिति मानकर धन खाते में भेजे जाने का प्रावधान है। मध्याहन भोजन योजना के तहत कन्वर्जन कॉस्ट का बजट तो समय समय पर मिल जाता है लेकिन फल का बजट अगस्त 2021 से नहीं मिला है। बजट न मिल पाने से स्कूलों के खाते में धन नहीं भेजा जा सका है जिससे शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है। उन्हें अपनी जेब से पैसा लगाकर बच्चों को फल बांटने पड़ रहे है। जिससे शिक्षकों को अपने वेतन का बड़ा हिस्सा प्रतिमाह बच्चों को फल बांटने में खर्च करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर नाम ना छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों का कहना है कि जैसा दाम वैसा काम, जब हमें पैसा मिलेगा तब हम फल वितरित करेंगे।
हमें जब से पैसा नहीं मिल रहा है हम तब से फल वितरित नहीं कर रहे हैं, ना ही बच्चों को दूध वितरित कर रहे हैं, सिर्फ बच्चों को एमडीएम खिला रहे हैं अगर एक माह के अंदर कन्वर्जन कास्ट नहीं भेजी गई तो अब हम एमडीएम बनवाना भी बंद कर देंगे।
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Recent Posts

कानपुर देहात में लूट के आरोपी को दो साल की सजा,3 हजार का लगा जुर्माना

कानपुर देहात में पुलिस की सक्रियता के चलते अपराधियों को सजा दिलाने का सिलसिला लगातार…

1 day ago

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवाहन पर देवस्थानों में रामायण के पाठ प्रारंभ

सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात। राष्ट्रीय स्तर पर सनातन के संबंध में चल रही बहस को…

1 day ago

प्राथमिक विद्यालय नरिहा में मना प्रवेशोत्सव और वार्षिकोत्सव

कानपुर देहात। प्राथमिक विद्यालय नरिहा विकासखंड अकबरपुर में नवीन शैक्षिक सत्र के प्रारंभ में स्कूल…

2 days ago

मेहनत रंग लाई: रजिया को मिली साइकिल की उड़ान, फतेहपुर के सितारों का हुआ सम्मान

विवेक सिंह,फतेहपुर: प्राथमिक विद्यालय अस्ती में आयोजित वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में शिक्षा के क्षेत्र…

2 days ago

कानपुर देहात में सुभासपा का हुंकार: महर्षि कश्यप जयंती पर उमड़ा जनसैलाब, 2027 के लिए भरी हुंकार

कानपुर देहात: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने आज महर्षि कश्यप जी के जन्म दिवस…

2 days ago

गर्मी के कारण स्कूलों के समय में बदलाव की उठी मांग

राजेश कटियार, कानपुर देहात। लगातार तापमान में हो रही वृद्धि के चलते राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ…

2 days ago

This website uses cookies.