प्राचीन समय में बादशाह एक दूसरे की परीक्षा लिया करते थे। एक बार फारस के बादशाह ने अकबर को नीचा दिखाने के लिए एक शेर बनवाया और उसे एक पिंजरे में बंद करवा दिया। इस पिंजरे को उसने एक दूत के द्वारा बादशाह अकबर के पास भेजा और कहलवा दिया कि यदि उनके दरवार में कोई बुद्धिमान व्यक्ति है तो इस शेर को बिना पिंजरा खोले ही निकाल दे, यदि ऐसा नहीं कर सके तो दिल्ली पर फारस के बादशाह का अधिकार हो जाएगा।
अकबर ने सारे दरवार में यह प्रश्न रखा कोई दरबारी इस समस्या का हल नहीं कर सका, बीरबल उस समय वहाँ नहीं थे। बादशाह को बहुत चिंता हुई, शान भी मिटटी में मिल जाएगी और राज्य भी हाथ से चला जाएगा। उसी समय बीरबल पहुँचे, बादशाह अकबर ने बीरबल के सामने भी यही प्रश्न रखा।
पहले तो बीरबल ने शेर को अच्छी तरह से देखा फिर एक गर्म लोहे की छड़ से उन्होंने थोड़ी देर में सारा शेर पिंजरे से गायब कर दिया। कारण यह था कि शेर मोम का बना था किन्तु धातु का मालूम पड़ता था। इस बात को बीरबल ने पहचान लिया। फारस का राजदूत वीरबल की चतुराई देखकर दंग रह गया और बादशाह अकबर बड़े प्रसन्न हुए।
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