बेटों के सामने निकला मां का दम, पति के इलाज को रोई पत्नी, कानपुर में अस्पतालों के बाहर टूट रही सांसें
कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद भी इलाज के लिए मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं। इससे हैलट अस्पताल उर्सला और नर्सिंगहोम के बाहर रोगियों की मौत हो रही है। कहीं ऑक्सीजन तो कहीं बेड न होना बताया जा रहा है।
कानपुर,अमन यात्रा । कोरोना संक्रमण से जूझते और उससे दम दिखाती जिंदगियों की सरकारी और निजी अस्पतालों के बाहर पहले उम्मीदें टूट रही हैं और फिर कुछ मिनटों बाद सांसें शरीर का साथ छोड़ दे रही हैं। उनमें मौत के भंवर से निकलने का साहस, जीवटता और इच्छाशक्ति भरपूर रहती है, लेकिन अव्यवस्था, संसाधनों अभाव और बेरुखी भरे जवाब के आगे मरीज जिंदगी की जंग हार जा रहे हैं। रविवार को भी हैलट, उर्सला अस्पताल और नर्सिंगहोम पहुंचने पर कई रोगियों की मौत हो गई। उनके स्वजनों को कहीं सिलिंडर न होने और कहीं बेड खाली न होने का जवाब मिला। आखिर में वह भी रोते, चित्कार करते और सिस्टम को कोसते हुए घर चले गए।
मां को लेकर भटका फिर भी नहीं बची जान : बिठूर के डल्लापुरवा गांव की 65 साल की कौशल्या देवी को सांस लेने में तकलीफ हुई। बेटा मुरली उन्हें निजी अस्पताल में लेकर पहुंचा, लेकिन वहां उन्हें ऑक्सीजन न होने की बात कही गई। वह कुछ और नर्सिंगहोम में गए। वहां भी पहले की तरह की जवाब मिला। आखिर में हैलट अस्पताल पहुंचे। यहां इलाज से पहले ही वृद्धा की मौत हो गई।
बेटों के सामने निकला मां का दम : बिधनू की 70 वर्षीय कलावती को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। उनका दम घुट रहा था। बेटे राज बहादुर और श्याम उन्हें लेकर हैलट अस्पताल पहुंचे। स्ट्रेचर से अंदर लेकर गए। वहां उन्हें ऑक्सीजन और बेड खाली न होने की बात कही गई। दोनों इधर उधर परेशान हुए। इसी बीच वृद्ध का दम निकल गया।
भाई को बचाने के लिए रोया गिड़गिड़ाया : श्याम नगर के 50 साल के रमेश शर्मा को तीन दिन से बुखार आ रहा था। घर में सर्दी और बुखार की दवा खा रहे थे। रविवार की सुबह अचानक उनको चक्कर आने लगा। सीने में दर्द भी हुआ। छोटा भाई विक्की उन्हें लेकर उर्सला अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर ने हैलट ले जाने के लिए कह दिया। विक्की भाई को बचाने के लिए रोता और गिड़गिड़ाता रहा। आखिर में हैलट के लिए निकल गया।
पति के इलाज के लिए रोई महिला : सिकंदरा के 55 साल के कमल नयन की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनका होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा था। दो दिन से पेट में दर्द शुरू हो गया। खाना पीना छोड़ दिया। पत्नी और बेटा एंबुलेंस से कई नर्सिंगहोम गए, लेकिन कहीं बेड नहीं मिला। आखिर में कल्याणपुर के नर्सिंगहोम में भर्ती करने के लिए गुहार लगाती रही। वहां भी उन्हें जगह नहीं मिली।
बुजुर्ग को देखा तक नहीं : बंगला निवासी 85 वर्षीय केशव नारायण तिवारी को उनका नाती मोनू गंभीर हालत में लेकर हैलट अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचा। वहां उन्होंने मरीज को देखने के लिए कहा, लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल सका। घरवालों ने काफी मिन्नतें की फिर भी उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
कोविड अस्पताल के लिए भेजा : शुक्लागंज निवासी सुरेश चंद्र दीक्षित को उनकी पत्नी कामिनी हैलट अस्पताल लेकर पहुंचीं। डॉक्टरों ने देखा और उन्हें लेकर फ्लू ओपीडी जाने के लिए कहा। वह फ्लू ओपीडी पहुंची, लेकिन वहां भी घरवाले काफी देर तक परेशान रहे।
Author: AMAN YATRA
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