मतांतरण के मामले में IAS अफसर इफ्तिखारउद्दीन के पक्ष में सपा MP, बोले-बेवजह बनाया जा रहा निशाना
बड़े पैमाने पर मतांतरण कराने के मामले में स्पेशल इंसेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) के रडार पर आ चुके वरिष्ठ आइएएस अफसर इफ्तिखारउद्दीन के पक्ष में समाजवादी पार्टी के सांसद खुलकर आ गए हैं। मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉक्टर एसटी हसन का कहना है कि मुस्लिम होने के कारण आइएएस अफसर को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
डॉ. एसटी हसन ने कहा कि देश का कानून हमें अपने मजहब को मानने और प्रचार करने की इजाजत देता है। अगर कोई आइएएस अफसर अपने घर में कोई धार्मिक कार्यक्रम करता है या फिर मिलाद शरीफ करता है तो यह कोई देशद्रोह की कोई बात नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपने घर में पूजा या हवन करता है तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसमें कोई किसी पर दबाव नहीं डाल रहा है, अगर कोई जबरदस्ती धर्मांतरण करा रहा है तो यह जांच का मुद्दा होना चाहिए। अगर किसी के साथ जबरदस्ती की जाए या धोखा देकर किसी का मतांतरण कराया जाए तो यह गलत है। सांसद ने कहा कि प्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए भाजपा ने एक सीनियर आईएएस अधिकारी को घेर लिया है। वह अधिकारी मुस्लिम है, इसलिए उन पर दस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि कानपुर में अपने कार्यकाल में कमिश्नर के सरकारी आवास पर मतांतरण की तकरीर के कई वीडियो वायरल होने के बाद स्पेशल इंसेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) वरिष्ठ आइएएस अफसर इफ्तिखारउद्दीन के वायरस वीडियो तथा उनकी संलिप्तता की जांच कर रही है। इस जांच में इफ्तिखारुद्दीन की तकरीर के 60 से ज्यादा वीडियो मिले हैं, जबकि बंगले पर तैनात पूर्व कर्मचारियों ने भी इसकी पुष्टि की है। करीब 60 से ज्यादा वीडियो मिले है। इनमें या तो मोहम्मद इफ्तिखारउद्दीन खुद धाॢमक तकरीर दे रहे हैं या फिर तकरीर के समय मौजूद हैं। सभी वीडियो कानपुर मंडलायुक्त आवास के हैं। इन वीडियो में धाॢमक कट्टरता फैलाने, धर्मांतरण की मुहिम को आगे बढ़ाने की बातें की जा रही हैं। हर वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन मौजूद है। वहीं वो किसी मौलाना की तकरीर सुन रहे हैं, तो किसी किसी वीडियो में खुद तकरीर दे रहे हैं। इफ्तिखारूद्दीन ने अपने सरकारी आवास से लेकर ऑफिस तक मतांतरण की मुहिम छेड़ रखी थी। मंडलायुक्त आवास पर तैनात दो कर्मचारियों ने एसआइटी को बताया कि इफ्तिखारुद्दीन मूॢत पूजन, हाथ में कलावा बांधने पर भड़क जाते थे। इस दौरान अगर कोई मुस्लिम कर्मचारी दाढ़ी नहीं रखता था, नमाज अदा नहीं करता था, तो उससे भी नाराज रहते थे।