आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बीएड सत्र 2004-05 के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने वाले 4706 अभ्यर्थियों को एसआइटी जांच में चिह्नित किया गया था। इनमें से 2823 अभ्यर्थी ऐसे थे, जिनका न तो कोई रिकॉर्ड मिला और न ही उन्होंने विश्वविद्यालय को प्रत्यावेदन दिया। ऐसे सभी अभ्यर्थियों को फर्जी घोषित किया जा चुका है। इनमें से 219 अभ्यर्थी परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने में कामयाब हुए थे जिनमें से 214 फर्जी शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है। इनमें से 73 शिक्षकों को वेतन वसूली की नोटिस दी गई थी जिनमें से 24 शिक्षकों से 75.93 करोड़ रुपये की वसूली हुई।

इनके अलावा जिन 814 अभ्यर्थियों ने प्रत्यावेदन दिया था, विश्वविद्यालय ने उनमें से दो को सही और 812 को फर्जी पाया है। फर्जी पाए गए अभ्यर्थियों में से 756 परिषदीय स्कूलों में शिक्षक के तौर पर तैनात हैं जिनके खिलाफ बर्खास्तगी का रास्ता साफ हो गया है। अभी तक इनमें से 712 शिक्षकों का वेतन रोका गया था।

 

शासन ने वर्ष 2018 में आदेश जारी कर वर्ष 2010 के बाद फर्जी अभिलेखों के आधार पर परिषदीय शिक्षक की नियुक्ति पाने वालों के अभिलेखों की जांच जिला स्तरीय समिति से कराने का निर्देश दिया था। अभिलेखों की जांच में 1294 शिक्षक फर्जी अभिलेखों के माध्यम से नौकरी करते पाए गए थे। इनमें से 1274 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है जबकि 242 शिक्षकों से 132.47 करोड़ रुपये की वेतन वसूली भी की गई है। इनके अलावा एसटीएफ ने 105 और फर्जी शिक्षकों को चिन्हित किया है जिनमें से 85 की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं।