रन फॉर ओपीएस के प्रतिभागियों का राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जताया आभार
अटेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु ने रन फॉर ओपीएस रैली की शानदार सफलता के लिए सभी मातृ शक्ति बहनों एवं जांबाज क्रांतिकारी अटेवियन्स साथियों को आभार ज्ञापित किया है।

- सांसद-विधायक खुद ले रहे दोहरी-तिहरी पुरानी पेंशन, कर्मचारियों को दे रहे नई पेंशन का झुनझुना
राजेश कटियार, कानपुर देहात। अटेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु ने रन फॉर ओपीएस रैली की शानदार सफलता के लिए सभी मातृ शक्ति बहनों एवं जांबाज क्रांतिकारी अटेवियन्स साथियों को आभार ज्ञापित किया है। उन्होंने लिखा कि एनपीएस निजीकरण के विरूद्ध हजारों शिक्षकों कर्मचारियों ने सड़कों पर उतरकर जो सांकेतिक प्रदर्शन किया वह ऐतिहासिक, अद्भुत, अकल्पनीय रहा। आप सभी के जज्बे को नमन वंदन। प्रतिकूल मौसम में भी ओपीएस के लिए गजब की दीवानगी देखने को मिली। आंगे उन्होंने लिखा
यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा, जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा। न मायूस हो न घबरा अंधेरों से मेरे साथी, इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा।
आज नहीं तो कल पेंशन मुद्दे का हल भी निकलेगा…निकलेगा।
बता दें पुरानी पेंशन बहाली को लेकर अटेवा की ओर से रविवार को रन फॉर ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें सरकारी कर्मचारियों ने ताकत झोंक दी थी। उन्होंने पुरानी पेंशन बहाली को अपना हक बताया। अटेवा की ओर से डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क गोमती नगर से यह दौड़ आयोजित हुई। बड़ी संख्या मे उपस्थित शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों ने अनुशासन में रहते हुए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आवाज बुलंद की। कर्मचारियों ने भारत माता की जय, वंदे मातरम, पेंशन हमारा हक है इत्यादि नारे भी बुलंद किए। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन हक है हमारा जिसे हम हर हाल में लेकर रहेंगे। इस लड़ाई को इसी तरह एकजुट होकर लड़ा जाएगा। तभी सरकार की आंखे खुलेंगी। सरकार को कर्मचारियों की ताकत का अहसास कराया जाएगा क्योंकि ये नई पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। कर्मचारियों को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिस समय रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को सबसे अधिक पेंशन की जरूरत होती है, उसी दौरान उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है। नौकरी तक बेहतर वेतन लेने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद नाम मात्र की पेंशन का भुगतान किया जाता है। ये स्थिति बेहद दयनीय है।
सांसद-विधायकों की पेंशन पर उठाए सवाल-
सरकारी कर्मचारियों ने कहा कि सरकार जब एक दिन के लिए सांसद, विधायक बनने वालों को जिंदगी भर पुरानी पेंशन का लाभ दे रही है तो हम सभी से क्यों परहेज किया जा रहा है। यदि सरकार को लगता है कि नई पेंशन योजना लाभकारी है तो इसे सांसद, विधायकों पर लागू क्यों नहीं करती। जब एक ही आदमी को जीवन भर सांसद और विधायक की पेंशन का लाभ दिया जा सकता है तो कर्मचारियों को 35 से 40 साल की सेवा के बाद भी पुरानी पेंशन का लाभ क्यों नहीं मिल सकता। सरकार तत्काल सांसद, विधायकों को भी पुरानी पेंशन का लाभ देना बंद करे। कहा कि यदि इस बार लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती तो कर्मचारी चुनाव में सबक सिखाएंगे।
बेसिक शिक्षा विभाग की खबरों पर पैनी नजर रखने वाले राजेश कटियार का कहना है कि सांसदों और विधायकों की बातों में हर वक्त सेवा का राग रहता है लेकिन पेंशन की मेवा से किसी अमीर नेता को भी ऐतराज नहीं है। भले ही उम्र भर सरकारी नौकरी वाले को पेंशन न मिले लेकिन एक दिन के विधायक के लिए पेंशन तो पक्की है। आलम ये है कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के अधिकार को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा है लेकिन नेताओं को उम्र भर आराम मिलता रहे। पूरे देश में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार फिलहाल इसे लागू करने के मूड में नहीं है हालांकि वर्तमान और पूर्व सांसदों पर खर्च करने के मामले में सरकारी तिजोरी में कभी पैसों की कमी आड़े नहीं आती। सरकार का दोगलापन साफ देखा जा सकता है कि स्वयं पुरानी पेंशन ले रहे हैं और सरकारी कर्मचारियों पर नई पेंशन लागू कर रखी है। मैं सरकार से बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता सिर्फ इतनी बिनती है कि अगर नई पेंशन बहुत ही अच्छी है तो सभी जनप्रतिनिधियों पर इसे लागू कर दिया जाए।
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