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कानपुर देहात। शिक्षकों की भूमिका समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें जीवन के लिए तैयार करने का काम करते हैं। शिक्षकों को छात्रों के साथ एक आदर्श संबंध बनाने की आवश्यकता है जो विश्वास और सम्मान पर आधारित हो। हाल के वर्षों में शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लिए जा रहे हैं कार्य में विलंब होने पर अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की जा रही है। अधिकारियों का यह आचरण शिक्षकों के लिए असहनीय हो गया है और यह शिक्षा प्रणाली के लिए भी हानिकारक है। शिक्षकों को अक्सर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए निलंबित किया जाता है, भले ही पोस्ट शिक्षा से संबंधित न हों।
हालांकि कुछ शिक्षिकाएं ऐसी भी हैं जो स्कूलों में शैक्षणिक कार्य नहीं करती हैं और रील (वीडियो) बनाया करती हैं जिसे वे सोशल प्लेटफॉर्म पर अपनी वाहवाही बटोरने के लिए वायरल किया करती हैं, ऐसी शिक्षिकाओं की यह आदत वास्तव में कार्यवाही के लायक ही है लेकिन कुछ शिक्षकों को अक्सर उनके व्यक्तिगत जीवन के आधार पर सजा दी जाती है जैसे कि उनकी धार्मिक मान्यताओं या उनके राजनीतिक दर्शन के लिए। शिक्षकों को अक्सर उनके आचरण के आधार पर भी सजा दी जाती है जैसे कि वे स्कूल समय के बाद बाहर क्या करते हैं। शिक्षकों को अक्सर ऐसा लगता है कि उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन को नियंत्रित करने के लिए विभाग द्वारा मजबूर किया जा रहा है। वे अपनी खुशियों का इजहार भी नहीं कर पा रहे हैं। गैर शैक्षणिक कारणों से सजा से शिक्षकों का आत्मविश्वास कम हो रहा है। इससे वे छात्रों को शिक्षित करने में कम प्रभावी होते जा रहे हैं।
गैर शैक्षणिक कारणों से सजा से शिक्षकों का पलायन बढ़ सकता है। इससे शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है। अत: शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट दिशानिर्देश विकसित करने चाहिए जो यह निर्धारित करें कि क्या गतिविधियां अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए योग्य हैं। इन दिशानिर्देशों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और छात्रों के हितों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। शिक्षकों को इन दिशानिर्देशों के बारे में प्राशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्हें यह समझने में मदद करने की आवश्यकता है कि क्या गतिविधियां अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए हैं। शिक्षकों को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एक निष्पक्ष प्रक्रिया प्रदान की जानी चाहिए। उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए कि वे अपनी गलतियों के लिए जवाब दें। इन सुझावों का पालन करके, शिक्षा अधिकारियों को शिक्षकों पर गैर शैक्षणिक मुद्दों के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही के मुद्दे को अधिक न्यायसंगत और उचित तरीके से हल करने में मदद मिल सकती है।
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