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रैबीज रोग से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी

रैबीज रोग से बचाव एवं सावधानियों हेतु एडवाइजरी की जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर डॉ एके सिंह ने बताया कि रैबीज बीमारी एक खतरनाक वायरस से होती है। जो मस्तिष्क में सूजन / बीमारी का कारण बनती है। रैबीज बीमारी होने के बाद लाइलाज है, संक्रमित पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बन्दर, आदि के कॉटने व खरोचने से मनुष्यों में रैबीज फैल सकता है।

कानपुर देहात। रैबीज रोग से बचाव एवं सावधानियों हेतु एडवाइजरी की जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर डॉ एके सिंह ने बताया कि रैबीज बीमारी एक खतरनाक वायरस से होती है। जो मस्तिष्क में सूजन / बीमारी का कारण बनती है। रैबीज बीमारी होने के बाद लाइलाज है, संक्रमित पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बन्दर, आदि के कॉटने व खरोचने से मनुष्यों में रैबीज फैल सकता है। रैबीज के मुख्य लक्षणों में मानसिक स्थिति खराब होना अत्यधिक लार का बनना तथा गिरना एवं प्रकाश और पानी का डर का होना शामिल है।

 

रैबीज रोग के उक्त लक्षणों का प्रकट होने का समय 2 हफ्ते से लेकर 6 वर्ष तक हो सकता है। रैबीज रोग से बचने के लिये संकमित जानवरों के काटने या खरोचने पर व्यक्ति को तत्काल चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। प्राथमिक उपचार के अंर्तगत काटे हुये स्थान को एण्टीसैप्टिक या साबुन (डिटर्जेन्ट) तेज पानी की धार से लगभग 15 मिनट तक धो लेना चाहिए, घाव को कसकर बाँधना या ढकना नहीं चाहिए। नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिये।

 

कुत्ते के काटने के 72 घण्टे के भीतर एण्टीरैबीज (वैक्सीन) टीका चिकित्सक के सलाह के अनुसार अवश्य लगवा लेना चाहिये जो कि प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र में निःशुल्क उपलब्ध है तथा प्रत्येक कार्य दिवस में लगाया जाता है, आप अपने पालतू जानवरों की नियमित टीकाकरण करायें तथा उनमें अस्वाभाविक व्यवहार होने पर तत्काल पशु चिकित्सा अधिकारी से सलाह ले। अपने आस-पास किसी भी जानवर (बाहरी अथवा पालतू) में अस्वभाविक व्यवाहार / लक्षण मिलने पर तत्काल इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दे।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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