शिक्षा विभाग का तुगलकी फरमान, टाइम एंड मोशन स्टडी मासूम बच्चों पर भारी
महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा निर्धारित टाइम एंड मोशन स्टडी मासूम बच्चों पर भारी पड़ रही है क्योंकि दोपहर दो बजे तक स्कूलों में रहने में बेसिक शिक्षकों की तो नहीं लेकिन प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों की हालत खराब हो रही है। ग

- प्राइमरी स्कूल के बच्चों के साथ दोहरे व्यवहार से अभिभावकों में रोष
लखनऊ / कानपुर देहात। महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा निर्धारित टाइम एंड मोशन स्टडी मासूम बच्चों पर भारी पड़ रही है क्योंकि दोपहर दो बजे तक स्कूलों में रहने में बेसिक शिक्षकों की तो नहीं लेकिन प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों की हालत खराब हो रही है। गर्मी व उमस के कारण कई बार बच्चे बेहोशी की हालत में पहुंच जाते हैं जबकि दूसरी ओर माध्यमिक विद्यालयों के बड़े बच्चों की छुट्टी 12 बजे ही हो जाती है ऐसे में बड़े और छेटे बच्चों के प्रति दोहरे व्यवहार से अभिभावक भी त्रस्त हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद द्वारा बेसिक के छोटे छोटे बच्चों पर जारी टाइम एंड मोशन स्टडी का फरमान गर्मी और उमस में भारी पड़ रहा है जिसके तहत गर्मियों में विद्यालय का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक रखा गया है जबकि माध्यमिक के बड़े बच्चों का टाइम माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा सुबह 7.30 से दोपहर 12 बजे तक निर्धारित किया गया है।
कक्षा 1 से 5 तक के बेसिक स्कूलों के मासूम बच्चों के साथ यह दोहरा व्यवहार अभिभावकों की समझ से परे हो रहा है जिसमें उसका माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाला बड़ा बच्चा दोपहर 12 बजे घर वापिस आ जाता है और कक्षा 1 से 5 तक में परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाला बच्चा दोपहर 2 बजे की उमस भरी तमतमाती गर्मी में विद्यालय से आता है। यह व्यवस्था बेसिक के छोटे मासूम बच्चों पर भारी पड़ रही है नमी और उमस में बच्चे बेहोशी की कगार तक पहुंच जाते हैं, इतना ही नहीं विद्यालय समय में अक्सर बिजली भी गुल हो जाती है कई विकलांग चच्चे भी बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। छात्र उपस्थिति पर भी इसका खासा असर पड़ रहा है। गर्मी की वजह से 50 से 60 फीसदी बच्चे ही स्कूलों में जा रहे हैं।
शिक्षक संगठनों ने कई बार विभाग का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया लेकिन कोई व्यवस्था अभी तक छोटे बच्चों को राहत देने के लिए नहीं की गई जबकि पूर्व में सुबह 7 से 12 बजे तक की व्यवस्था लागू थी जोकि सही थी। व्यवस्था में मनमाना परिवर्तन करने से अभिभावकों में रोष व्याप्त है। आला अधिकारियों को इस पर विचार करते हुए स्कूल के समय को पूर्व की व्यवस्था के अनुसार ही लागू करना चाहिए।
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