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सात अक्टूबर से शुरू रहे शारदीय नवरात्र का पर्व इस बार आठ दिन रहेगा, जान‍िए घट स्‍थापना का शुभ मुहूर्त

हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र आरम्भ होते हैं। इन्हें अश्विन नवरात्र भी कहते हैं। नवरात्र के नौ दिन देवी मां की उपासना के लिए बहुत विशेष महत्व रखते हैं। जगत के कल्याण के लिए आदि शक्ति ने अपने तेज को नौ अलग-अलग रूपों में प्रकट किया, जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं।

मेरठ, अमन यात्रा । हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र आरम्भ होते हैं। इन्हें अश्विन नवरात्र भी कहते हैं। नवरात्र के नौ दिन देवी मां की उपासना के लिए बहुत विशेष महत्व रखते हैं। जगत के कल्याण के लिए आदि शक्ति ने अपने तेज को नौ अलग-अलग रूपों में प्रकट किया, जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं। नवरात्री का समय माँ दुर्गा के इन्हीं नौ रूपों की उपासना का समय होता है। जिसमें प्रत्येक दिन देवी माँ के अलग अलग रूप की पूजा की जाती है। नवरात्री में देवी के नौ रूपों में से प्रथम दिन “मां शैलपुत्री” की पूजा की जाती है दूसरे दिन “ब्रह्मचारिणी” स्वरुप की तीसरे दिन “चंद्रघंटा” चौथे दिन “कुष्मांडा” पांचवे दिन “स्कन्दमाता” छटे दिन “कात्यायनी” सातवे दिन “कालरात्रि” आठवे दिन “महागौरी” तथा नवरात्रि के नौवे दिन मां “सिद्धिदात्री” की पूजा की जाती है। कन्या पूजन नवरात्रि का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है जिसमे छोटी कन्याओं को देवी मां के स्वरुप में मानकर उन्हें विभिन व्यंजनों का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। तो जो लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। वह इस बार 13 अक्टूबर को कन्या पूजन करें और जो लोग नवमी में कन्या पूजन करते हैं वे इस बार 14 अक्टूबर को कन्या पूजन करें।

इस बार विशेष

इस बार शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर गुरूवार से आरम्भ हो रहे हैं ,और 7 से 14 तारिख के बीच नवरात्र उपस्थित रहेंगे। इस बार नवरात्रि में “चतुर्थी तिथि” क्षय होने के कारण नवरात्री का एक दिन घट रहा है। इसलिए इस बार नवरात्री का पर्व आठ दिन ही रहेगा। इस बार नवरात्रि के क्रम को देखें तो 7 अक्टूबर को प्रतिपदा यानि के पहला नवरात्रा होगा। इसी दिन घटस्थापना की जाएगी, इसके बाद 8 तारिख को द्वितीया 9 तारिख को तृतीया और चतुर्थी एक साथ होंगी 10 तारिख को पंचमी 11 तारिख को षष्ठी 12 तारिख को सप्तमी 13 अक्टूबर को दुर्गाष्टमी और 14 तारिख को महानवमी के साथ नवरात्री का समापन होगा और 15 अक्टूबर को विजय- दशमी का पर्व मनाया जायेगा।

इस बार माता की सवारी

इस बार नवरात्रि का आरम्भ गुरूवार से हो रहा है और नवमी के बाद विजय-दशमी में शुक्रवार के दिन माता का प्रस्थान होगा और शास्त्रीय मान्यता के अनुसार गुरूवार और शुक्रवार को माता की सवारी डोली होती है, इसलिए इस बार नवरात्री में माता डोली में सवार होकर आएंगी और डोली की सवारी से ही माता का वापस प्रस्थान होगा। ऐसा माना गया है के नवरात्री में डोली की सवारी में माता का आगमन स्त्री शक्ति को मजबूत करता है लेकिन इसे प्राकृतिक और राजनैतिक उठा पटक का संकेत भी माना जाता है। इसलिए अगले कुछ समय में स्त्रियों का वर्चस्व राष्ट्रिय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगा, पर राजनैतिक उथल-पुथल की स्थिति भी सामने आएगी।

इस बार घट स्थापना का शुभ समय

इस बार घट स्थापना के लिए दो विशेष मुहूर्त हैं पहला मुहूर्त 7 तारिख की सुबह 6:17 से 7:44 के बीच है इस समय शुभ चौघड़िया मुहूर्त उपस्थित होगा। इसके बाद 7 तारिख की सुबह 9:30 बजे से स्थिर लग्न का शुभ मुहूर्त शुरू हो जायेगा जो 11:43 बजे तक रहेगा इसलिए इस बार घट स्थापना के लिए सुबह 9:30 से 11:43 के बीच का समय भी श्रेष्ठ रहेगा इस बीच में कभी भी घट स्थापना कर सकते हैं।

घट स्थापना का पहला मुहूर्त सुबह 6:17 से 7:44 तक घट स्थापना का दूसरा मुहूर्त सुबह 9:30 से 11:43 तक रहेगा।

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Author: pranjal sachan

कानपुर ब्यूरो चीफ अमन यात्रा

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