मेरठ, अमन यात्रा । हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र आरम्भ होते हैं। इन्हें अश्विन नवरात्र भी कहते हैं। नवरात्र के नौ दिन देवी मां की उपासना के लिए बहुत विशेष महत्व रखते हैं। जगत के कल्याण के लिए आदि शक्ति ने अपने तेज को नौ अलग-अलग रूपों में प्रकट किया, जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं। नवरात्री का समय माँ दुर्गा के इन्हीं नौ रूपों की उपासना का समय होता है। जिसमें प्रत्येक दिन देवी माँ के अलग अलग रूप की पूजा की जाती है। नवरात्री में देवी के नौ रूपों में से प्रथम दिन “मां शैलपुत्री” की पूजा की जाती है दूसरे दिन “ब्रह्मचारिणी” स्वरुप की तीसरे दिन “चंद्रघंटा” चौथे दिन “कुष्मांडा” पांचवे दिन “स्कन्दमाता” छटे दिन “कात्यायनी” सातवे दिन “कालरात्रि” आठवे दिन “महागौरी” तथा नवरात्रि के नौवे दिन मां “सिद्धिदात्री” की पूजा की जाती है। कन्या पूजन नवरात्रि का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है जिसमे छोटी कन्याओं को देवी मां के स्वरुप में मानकर उन्हें विभिन व्यंजनों का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। तो जो लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। वह इस बार 13 अक्टूबर को कन्या पूजन करें और जो लोग नवमी में कन्या पूजन करते हैं वे इस बार 14 अक्टूबर को कन्या पूजन करें।