।। घूंघट ।।
पुरानी प्रथाएं निभाई जाए
या आधुनिक तकनीक अपनाई जाए ।
जहां,एक तरफ
घूंघट का सिर पर होना जरूरी था ।।
वही,आज मान ,मर्यादा का हनन कर
साहब!
घूंघट तो दूर कही अपनी बारी का समय
गिनता हैं और यहां तो हुजूर!
छोटे से छोटे वस्त्रों का चलन इस घूंघट पर
भारी सा पड़ता दिखता हैं ।।
घूंघट में बहु सजे तो अच्छा
पर अर्धनग्न जिस्म की नुमाइश ना
मुझे तनिक भी जचे ।।
घूंघट सिर का ताज रहे,मैं खुश
पर,वो घूंघट कैसा जिसमें,
मान मर्यादा,सम्मान,रीति रिवाज और प्रतिष्ठा
दांव पर लगे ।।
स्नेहा कृति(रचनाकर, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)कानपुर उत्तर प्रदेश