।। कुछ अनछुए लम्हे
तन्हाई के साथ ।।
अच्छा लगता हैं
तन्हा! अकेले,
गुजारना लम्हें सिर्फ ख्यालों के साथ ।
अच्छा,लगता हैं
तन्हा,रहना
सिर्फ! कागज़,कलम और दवात के साथ ।
बड़ा अच्छा लगता हैं
सर्द ,कुहासी रात में
खुद को समेटना, शॉल की सिलवटों के साथ ।
हां !
अच्छा लगता हैं ।
फुरसत के चंद पल में शायर माफिक समा बांधना अपनी गजल या शायरी के साथ ।
अच्छा लगता हैं ।
तन्हा,अकेले
गुजारना लम्हे सिर्फ ख्यालों के साथ
सिर्फ! खयालों के साथ ।।
स्नेहा कृति (रचनाकार)कानपुर, यूपी