उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति को समेटे हुए पर्यटन का बहुत बड़ा केन्द्र है। यहां परम्परा से लेकर पौराणिकता की झलक देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार सम्भावनायें हैं। इसी को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उ0प्र0 पर्यटन नीति घोषित किया है। जिसमें प्रदेश में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत प्राकृतिक एवं वन क्षेत्र में मौजूद रमणीक स्थलों पर वन व पर्यटन विभाग मिलकर ग्रामीण पर्यटन की दृष्टि से संबंधित क्षेत्रों का विकास कर रहे हैं।
ईको-टूरिज्म पॉलिसी के तहत सम्भावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के सहयोग से बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाये पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आवश्यक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की इस नीति से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादित विभिन्न प्रकार के कुटीर उद्योगों की विभिन्न वस्तुओं का विक्रय व राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी। स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं के विक्रय से लोगों में आर्थिक समृद्धि आयेगी। सरकार की एक जनपद एक उत्पाद नीति के तहत जिला/क्षेत्र विशेष की उत्पादित वस्तुओं की पहचान भी बनेगी।
प्रदेश सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है। प्रदेश सरकार पर्यटन एवं ग्रामीण विकास थीम पर प्रकृति के नजदीक पर्यटकों को ला रही है। प्रदेश में वन, जंगल, वाटर फाल, पहाड़ी और हरे-भरे क्षेत्रों से भरपूर नदियां व प्राकृतिक क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आवागमन हेतु वन नीति के अनुसार मार्ग बनाने, ठहरने व अन्य आवश्यक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। प्रदेश में कई पक्षी विहार हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। प्रदेश के कई जिलों में प्राकृतिक दृश्य हैं जो आकर्षण के केन्द्र हैं। प्रदेश मंे धार्मिक पर्यटन के लिए रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट, महाभारत सर्किट, शक्ति सर्किट आदि सहित कई धार्मिक सर्किट बनाते हुए पर्यटकों को एक सुविधायुक्त मार्ग प्रशस्त किया गया है। उसी तरह ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए संबंधित क्षेत्रों मंे अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जनपद पीलीभीत स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व में विकास कार्य करा रही है। इस कार्य में उस क्षेत्र के लोगों को पर्यटकों को बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाये भ्रमण कराने मंे सुविधा होगी। इससे क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलेगा और उनका विकास होगा।
इसी तरह प्रदेश के चंदौली के चन्द्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य में स्थित राजदरी एवं देवदरी जल प्रपात स्थल पर ईका-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विकास कार्य कराये जा रहे हैं। ईको-टूरिज्म की दृष्टि से चन्दौली, मिर्जापुर, सोनभद्र जनपदों के प्राकृतिक जलप्रपात, जीवाश्म पार्क, प्राकृतिक धरोहर से भरा पड़ा है। इन स्थलों पर प्रकृति प्रदत्त प्राकृतिक स्थल भी मौजूद हैं। जिनका व्यापक प्रचार-प्रसार करके ईको-पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की योजना है। इससे राजस्व अर्जन के साथ-साथ लोगों की आमदनी में वृद्धि होगी।
प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र, कतरनिया घाट वन्यजीव विहार, गोरखपुर क्षेत्र किशनपुर वन्यजीव विहार आदि को भी ईको-टूरिज्म विकसित करने की कार्यवाही की जा रही है। प्रदेश सरकार की ईको-टूरिज्म नीति से निश्चय ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और वनीय औषधियों, कुटीर उद्योग धन्धों, परम्परागत कौशल को बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश सरकार ने वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों पर आधारित पावन पथ वेबसाइट का निर्माण किया है। प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति के अंतर्गत पर्यटन इकाइयों को वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।