जिला बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान की उड़ी धज्जियां
शासन के भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान को लेकर बड़े-बड़े दावों की धज्जियां जिला बेसिक शिक्षा विभाग में जमकर उड़ाई गईं। सीएम योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस नीति के सामने जहां बड़े-बड़े अधिकारी घुटने टेक चुके हैं.
- पूर्व बीएसए सुनील दत्त भ्रष्टाचार के मामले में उलझे
कानपुर देहात, अमन यात्रा : शासन के भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान को लेकर बड़े-बड़े दावों की धज्जियां जिला बेसिक शिक्षा विभाग में जमकर उड़ाई गईं। सीएम योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस नीति के सामने जहां बड़े-बड़े अधिकारी घुटने टेक चुके हैं, वहां पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर धज्जियां उड़ाते हुए भ्रष्टाचार किए यह खुलासा मंडलायुक्त द्वारा जिलाधिकारी को सौंपे गए 31 पृष्ठीय शिकायतीय जांच में कोषाधिकारी के के पांडे द्वारा प्रस्तुत की गई जांच आख्या में हुआ है।
अवैध वाहन–
सुनील दत्त के द्वारा यूपी 77 एएफ-1270 जोकि परिवहन विभाग में व्यक्तिगत वाहन के रूप में पंजीकृत है को विभागीय कार्यो हेतु अवैध रूप से बिना जैम पोर्टल के माध्यम से सम्बद्ध कर निर्धारित मानक से अधिक धनराशि का भुगतान किया गया।
एयर कन्डीश्नर-
बेसिक शिक्षा विभाग में कुल 10 एयर कन्डीश्नर (एसी) लगे हैं जिसमें से एक एसी अवैध कैम्प कार्यालय (सुनील दत्त के आवास) में लगा है एवं एक एसी कामेश्वर प्रसाद पूर्व सहा0 लेखाधिकारी सर्व.शि.अभि. के आवास पर लगा है जोकि सरकारी धन का दुर्पयोग है। शासनादेशानुसार एसी का प्रयोग मानकविहीन अधिकारी नहीं कर सकते हैं जबकि यहां तो कुल 10 एसी का प्रयोग किया जा रहा है। एमडीएम कक्ष में भी देशवीर सिंह संविदा कार्मिक के कक्ष में एसी होना विडम्बना है।
कार्यालय में वाई-फाई (इण्टरनेट) व्यवस्था में अधिकतम धनराशि का भुगतान किया जाना-
सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय में बीएसएनएल ब्राडबैंड के भुगतान के साथ ही एक्सट्रीम वाई-फाई के नाम 10 एमबीपीएस न्यूनतम स्पीड वाई फाई कनेक्शन कराकर दस गुना अधिक धनराशि का प्रतिमाह भुगतान किया गया।
5 माह कार्यालय न खुलना-
बेसिक शिक्षा विभाग में सुनील दत्त एवं देशवीर सिंह की मिलीभगत के कारण 5 माह तक एमडीएम कक्ष ही नहीं खुला
करोना काल में स्कूल में डम्प पड़े खाद्यान्न के रख-रखाव हेतु शिकायतकर्ता द्वारा सुझाव देने पर बौखलाये पूर्व बीएसए द्वारा अन्तिम चेतावनी जारी करते हुए नौकरी से बर्खास्त करने हेतु पत्र जारी किया गया।
कार्मिको का शोषण-
ऐसे कई कार्मिक हैं जिनके साथ भी दुर्वव्यवहार होने से उन्हें मजबूरन अपने नौकरी से स्तीफा देना पड़ा या उन्हें दबाववश बिना मानदेय दिये नौकरी से हटा दिया गया। जिला समन्वयक निर्माण के पद पर पूर्व में कार्यरत राजकमल द्वारा कार्यालय कर्मचारियों एवं अधिकारियों के दबाव में कार्य करने से परेशान होकर पद से स्तीफा देना पड़ा।
जिला समन्वयक निर्माण के पद पर कार्यरत हर्ष पाल द्वारा राज्य परियोजना कार्यालय से बढ़ाया गया मानदेय मांगे जाने पर बढा मानदेय न मिलने तथा परियोजना के निर्देश के बावजूद कम्प्यूटर सहायक उपलब्ध न कराने तथा कार्यालय स्तर की सुविधाऐं न दिए जाने, बीएसए एवं सम्बन्धित पटल सहायकों से परेशान होकर पद से इस्तीफा दिया गया।
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को निर्धारित मानदेय न दिया जाना-
राज्य परियोजना निदेशक के कार्यालय आदेश संख्या 6014 दिनांक 17 फरवरी 2020 द्वारा आउट सोर्सिंग कार्मिको की मानदेय वृद्धि करते हुए भुगतान हेतु निर्देश प्रदान किये गये किन्तु तत्कालीन बीएसए सुनीलदत्त द्वारा अल्प मानदेय पर कार्यरत कर्मियों का बढ़ा हुआ मानदेय नहीं दिये जाने से प्रत्येक कार्मिक को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।
अब देखना यह है कि उपर्युक्त भ्रष्टाचार के बाद उच्च अधिकारियों द्वारा तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी पर क्या कार्यवाही की जाती है। यह भी जानकारी मिली है कि वरिष्ठ कोषाधिकारी के के पांडे द्वारा जो जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंपी गई है और उनके द्वारा जिलाधिकारी के यहां गई है। जिलाधिकारी नेहा जैन ने कमिश्नर के यहां जांच रिपोर्ट भेजे जाने के पहले तत्कालीन बीएसए सुनील दत्त के भी बयान लेने की बात कही है। तत्कालीन बीएसए के बयान के बाद ही अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।