प्राणघातक हमला करने पर सेना के बर्खास्त सिपाही व एक अन्य को सुनाई गई सजा
जनपद मुख्यालय स्थित जिला सत्र न्यायालय में 2013 के एक मुकदमे में बर्खास्त सेना सिपाही व एक अन्य के विरुद्ध सजा सुनाई गई तथा अर्थदंड के रूप में 5-5 हजार रुपए का प्रावधान भी किया गया।
- दोनों पर 5 -5 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी
सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात। जनपद मुख्यालय स्थित जिला सत्र न्यायालय में 2013 के एक मुकदमे में बर्खास्त सेना सिपाही व एक अन्य के विरुद्ध सजा सुनाई गई तथा अर्थदंड के रूप में 5-5 हजार रुपए का प्रावधान भी किया गया।इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता प्रदीप कुमार पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि जानलेवा हमला करने पर सेना के बर्खास्त सिपाही व एक अन्य को हुई सजा
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आज माती जिला न्यायालय में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ श्री अमरजीत सिंह ने सेना के बर्खास्त सिपाही उदय नारायण व उसके साथी मुलायम सिंह को जानलेवा हमला करने के आरोप में सजा सुनाई/ घटना की रिपोर्ट थाना देवराहट में ग्राम चैन का पुरवा निवासी गोविंद उर्फ कल्लू पुत्र राम शंकर यादव ने लिखाते हुए कहा था मेरे व विपक्षी रविंद्र पुत्र गया प्रसाद से प्रधानी के चुनाव को लेकर रंजिश चल रही थी जिसके कारण दिनांक 4/ 11/13 समय शाम लगभग 6:00 बजे उदय नारायण पुत्र रामजीवन मुलायम पुत्र मुंशीलाल रविंद्र पुत्र गया प्रसाद जो सभी चैन का पुरवा के निवासी हैं लालाराम के दरवाजे पर मोटरसाइकिल से आ कर गाली गलौज करने लगे जब मैंने मना किया तो उदय नारायण की राइफल से रविंद्र सिंह ने जान से मारने की नियत से मेरे ऊपर फायर कर दिया जिससे मैं बाल-बाल बच गया उदय नारायण उपरोक्त ने कहा कि जान से मार दो बच ना पाए गांव के अन्य लोग जैसे रिंकू, राहुल , आदि लोगो के साथ मारपीट की, जिससे उन्हें चोटे भी आई, खींचातानी में उदय नारायण की लाइसेंसी राइफल जो जम्मू राजौरी से बनी थी 6 टुकड़ों में टूट गई टूटी हुई राइफल को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया .
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जिससे उस राइफल से गोली चलने की पुष्टि हुई बचाव पक्ष का तर्क था कि नो इंजरी केस है, किसी भी घायल को गोली की चोट नहीं है इसका लाभ अभियुक्तों को दिया जाना चाहिए अभियोजन के विद्वान अधिवक्ता प्रदीप पांडे प्रथम ने स्पष्ट कहां की घटना तो हुई है तथा अभियुक्तों का जान से मारने का आशय भी था तथा अभियुक्तों द्वारा एक क्रास केस भी दाखिल किया गया था जो कि स्वयं मे ही अभियुक्तगणों की घटनास्थल पर उपस्थिति को स्पष्ट करता है, शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडे के तर्कों को सुनकर माननीय न्यायालय ने अभियुक्त गण उदय नारायण व मुलायम सिंह को धारा 307/ 323/ 504 का दोषी माना/ दौरान विचारण रविंद्र सिंह की मृत्यु हो गई थी न्यायालय द्वारा धारा 307 में 5 वर्ष की सजा 323 में 6माह की सजा व 504 में 6माह की सजा तथा 5000_5000 रुपए का जुर्माना लगाया सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।