कानपुर देहात। जिंदा जली मां-बेटी का अंतिम संस्कार हो गया है। बड़े बेटे शिवम ने मां और बहन को बिठूर घाट पर मुखाग्नि दी। परिजनों और ग्रामीणों ने नम आंखों से दोनों को विदाई दी। शव को ले जाते समय एक बार फिर परिजन और ग्रामीण नाराज हो गए। उन्होंने कहा- हमारे घर की महिलाएं जानवर नहीं हैं।
दरअसल, पोस्टमार्टम के बाद बुधवार सुबह 7 बजे दोनों का शव घर पहुंचा। उसके बाद शव को एंबुलेंश में रखकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था। गांव से करीब दो किलोमीटर चलने के बाद एक पीपल का पेड़ आता है। उनके रीति रिवाज के अनुसार, उसी पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ी को रुकना था। वहां पर कुछ रस्में निभानी थीं।
एसपी मूर्ति ने खुद सम्भाला मोर्चा और माफी मांगकर परिजनों को शांत कराया
लेकिन बोलने के बावजूद शव वाहन वहां पर न रुककर पेड़ से 250-300 मीटर आगे चला गया। वहां पर मामला बिगड़ गया। करीब आधे घंटे तक हंगामा चलता रहा। मौके पर पुलिस अधीक्षक, आईजी प्रशांत कुमार पहुंचे। अधिकारियों ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया।
एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने एंबुलेंस के ड्राइवर की गलती मानी और क्षमा मांगी। एसपी बोले कि ड्राइवर को नहीं पता था, इसलिए गलती से गाड़ी को आगे बढ़ा दिया। तब जाकर परिजन माने और शांति पूर्वक शव को बिठूर घाट के लिए लेकर गए।
भाई बोला- सारे सपने टूट गए हैं अब राखी कौन बांधेगा
मां और बेटी की जमकर मौत होने के बाद गांव में मातम पसरा है। जब मां और बहन के राख हो चुके शव को शिवम ने देखा तो वह बदहवास होकर गिर पड़ा। ग्रामीणों ने उसे समझाने का प्रयास किया तो उसने कहा, “सारे सपने टूट गए, जहां बहन की डोली उठानी थी, वहां आज उसकी अर्थी उठा रहे हैं।”
शिवम की यह बात सुनकर मौके पर मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं। ग्रामीणों के काफी समझाने के बाद सारे रीति रिवाज को पूरा करते हुए परिवार मां-बेटी के शव को लेकर बिठूर घाट के लिए रवाना हुआ।
दाह संस्कार के समय भाजपा विधायक अभिजीत भी आए
बिठूर में अंतिम संस्कार हुआ तो वहां पर सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। आईजी प्रशांत कुमार, एसपी के साथ ही कई पुलिसकर्मी थे। मां बेटी के चिता को अगल-बगल में बनाया गया। बेटे शिवम ने मुखाग्नि दी। वहां पर बिठूर के भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी थे।
आरोपियों पर कार्रवाई की बात विधायक सांगा ने की
उन्होंने कहा, “इस दुख के क्षणों में हम सभी लोग, सरकार के लोग पीड़ित परिवार के साथ हैं। पीड़ित गोपाल दिक्षित से भी मैंने बात की है। उस दिन जो भी हुआ, वो गलत था। इसकी जांच होगी। जांच में दोषी पाए जाने वालों पर इतनी कठोर कार्रवाई होगी कि इसकी एक मिसाल बन जाएगी। ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को चिह्नित कर कार्रवाई होनी चाहिए, जिनके अंदर मानवीय संवेदना बिल्कुल भी नहीं है।”
दो दिन पहले मां-बेटी की जिंदा जलकर हुई थी मौत
13 फरवरी को कानपुर देहात के मड़ौली गांव में एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद और एसओ रूरा दिनेश कुमार गौतम अवैध कब्जा हटाने गए थे। यहां पर पीड़ित कृष्ण गोपाल दीक्षित की झोपड़ी को हटना चाहा। आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी को बताए वहां पर शिवलिंग व नल को तोड़ दिया।
पति ने प्रशासन पर आग लगाने के आरोप लगाए
इतने में पत्नी प्रमिला (44) व बेटी नेहा (21) अपनी झोपड़ी में चले गए और दरवाजा बंद कर लिया। प्रशासन भी झोपड़ी को तोड़ने में लगा रहा। इतने में झोपड़ी में आग लगने से मां बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। वहीं प्रमिला का पति कृष्ण गोपाल दीक्षित भी झुलस गया था। आग लगने के बाद परिजनों ने शव को उठाने से मना कर दिया।
डिप्टी सीएम से बात करने के बाद परिजन माने थे
हादसे के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया था। 24 घंटे बाद मंगलवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से बात करने के बाद परिजन पोस्टमार्टम कराने के लिए माने। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग से पीड़ित परिवार से बात की और मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। तब जाकर परिजन शव उठाने के लिए राजी हुए थे।
अब तक इन लोगों पर हो चुकी है कार्रवाई
मृतका प्रमिला के बेटे शिवम दीक्षित ने थाने में तहरीर दी थी। परिजनों ने प्रशासन पर जान बूझकर आग लगाने का आरोप लगाया है। तहरीर पर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, एसओ रूरा दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, कानूनगो, मड़ौली गांव के अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल, जेसीबी आपरेटर दीपक, तीन अन्य लेखपाल अज्ञात सहित 39 लोगों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। वहीं, जेसीबी चालक दीपक व लेखपाल अशोक सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने मैथा एसडीएम को हिरासत में लिया है।
ये था पूरा जमीनी विवाद
मड़ौली गांव निवासी गेदनलाल ने गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित, अंश दीक्षित, शिवम आदि के खिलाफ आबादी की जमीन पर कब्जा कर मकान बनाने की शिकायत की थी। इस पर 13 जनवरी 2023 को SDM मैथा के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक नंद किशोर, लेखपाल अशोक सिंह चौहान ने जेसीबी से मकान ढहा दिया था। पीड़ित कृष्ण गोपाल व उनके पुत्र शिवम ने परिजनों के साथ लोडर से बकरियां आदि लेकर माती मुख्यालय में धरना देकर आवास मुहैया कराए जाने की मांग की लेकिन एसडीएम मैथा व ADM प्रशासन केशव गुप्ता ने उनको माफिया बता दिया।
मकान भी ध्वस्त कराने की चेतावनी दी थी। इसके बाद 14 जनवरी को तहसीलदार अकबरपुर रणविजय सिंह ने कृष्ण गोपाल, प्रमिला, शिवम, अंश, नेहा शालिनी व विहिप नेता आदित्य शुक्ला तथा गौरव शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मौजूदा समय में वह लोग फूस का छप्पर रखकर वहां पर रह रहे थे। उसे ही हटाने के लिए प्रशासनिक अफसरों की टीम पुलिस बल के साथ पहुंची थी। जिसमें मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई।
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