आरटीई प्रवेश: ढोल के अंदर पोल हर जगह झोल ही झोल

शिक्षा के अधिकार (आरटीई) की मदद से पढ़-लिखकर कामयाब इंसान बनने का गरीब बच्चों का सपना कुछ स्कूलों की मनमानी के चलते टूटता नजर आ रहा है। पिछले दो साल से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले इन बच्चों को स्कूल प्रबंधन ने यह बोलकर बाहर का रास्ता दिखा दिया है कि जिस स्कूल में प्रवेश दिया था वह तो बंद हो गया है।

लखनऊ/कानपुर देहात। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) की मदद से पढ़-लिखकर कामयाब इंसान बनने का गरीब बच्चों का सपना कुछ स्कूलों की मनमानी के चलते टूटता नजर आ रहा है। पिछले दो साल से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले इन बच्चों को स्कूल प्रबंधन ने यह बोलकर बाहर का रास्ता दिखा दिया है कि जिस स्कूल में प्रवेश दिया था वह तो बंद हो गया है। अब हम नया स्कूल चला रहे हैं जिसमें आरटीई के पुराने बच्चों को नहीं ले सकते। अब परिजन अपने बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं। दूसरी तरफ अधिकारियों का तर्क है कि इस मामले में हमारे पास कोई कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है।

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वहीं दूसरी ओर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में अपने बच्चों को फ्री प्रवेश दिलाने के लिए कार, मकान वाले माता-पिता भी खुद को गरीब दिखा रहे हैं। लगातार ऐसे केस आ रहे हैं जिनमें अभिभावक का पहला बच्चा सामान्य सीट पर प्रवेश लेकर पढ़ाई कर रहा है वहीं दूसरे बच्चे को फ्री सीट पर प्रवेश दिलाया गया है। बता दें आरटीई के तहत दुर्बल और अलाभित समूह के बच्चों को निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर निःशुल्क प्रवेश दिलाया जाता है। दुर्बल वर्ग के आवेदकों के लिए एक लाख रुपये सालाना की आय सीमा तय है। अलाभित समूह में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग आते हैं। इनके लिए आय सीमा का निर्धारण नहीं है। इनमें बहुत से छात्र ऐसे हैं जिनके अभिभावक एक लाख रुपये से कम सालाना आय वाले नहीं हैं। उसके बाद भी यह लोग फर्जी तरीके से आय प्रमाण पत्र बनवाकर सीट आवंटित कराने में सफल रहे हैं। स्कूल संचालकों ने फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाकर प्रवेश लेने की शिकायत की है। कई ऐसे लोग स्कूल में प्रवेश कराने पहुंचे हैं जिनके पास कार और कई कई मकान हैं। साथ ही कईयों के तीन मंजिला मकान भी बना हुआ है।

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जब यह मामला विभिन्न समाचार पत्रों में उठा तो सरकार इस पर सख्ती करने की बात कह रही है। महानिदेशक विजय किरन आनंद का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों की ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था शुरू करेगा। इसमें हर महीने स्कूलों व छात्रों से जुड़ी जानकारी पोर्टल पर अपडेट की जाएगी। प्रशासनिक अधिकारी इसका भौतिक सत्यापन भी करेंगे। आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों से जो दस्तावेज लिए जाते हैं। इसके आधार पर छात्र की यूनिक आईडी, यू डायस आईडी और आधार से उसको ट्रैक किया जाएगा। इससे गड़बड़ी की संभावना खत्म होगी, जिन्होंने फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाकर अपने बच्चों के प्रवेश करवाए हैं उन पर भी कार्यवाही की जाएगी। वहीं पढ़ाई छोड़कर जाने वाले बच्चों को ट्रैक करके दोबारा स्कूल लाने का प्रयास किया जाएगा। विभाग स्कूलों को प्रति छात्र 450 रुपये और छात्रों को 5000 रुपये सालाना देता है। अब इसे चरणबद्ध देने की तैयारी है।

Author: aman yatra

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