कानपुर देहातउत्तरप्रदेश

इतनी अच्छी है “नई पेंशन” तो नेता जी क्यों नहीं लेते

सरकारी कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं लेकिन नेता लोग स्वयं पुरानी पेंशन लेकर नई पेंशन के लाभ बता रहे हैं। जनवरी 2004 के बाद नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना लागू की गई है जोकि सही मायने में देखा जाए तो पेंशन योजना है ही नहीं।

कानपुर देहात,अमन यात्रा :  सरकारी कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं लेकिन नेता लोग स्वयं पुरानी पेंशन लेकर नई पेंशन के लाभ बता रहे हैं। जनवरी 2004 के बाद नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना लागू की गई है जोकि सही मायने में देखा जाए तो पेंशन योजना है ही नहीं। यह एक बाजारवाद पर आधारित प्रणाली है जिसमें किसी भी प्रकार की न्यूनतम गारंटी नहीं है। पुरानी पेंशन योजना सरकारी कर्मचारी के बुढ़ापे की लाठी है तो दूसरी ओर नई पेंशन योजना उसके साथ बहुत बड़ा छलावा है। इस योजना में शामिल कर्मचारी को 60 वर्ष की उम्र के पश्चात मामूली मासिक पेंशन मिलती है जबकि पुरानी पेंशन योजना में इतनी ही सेवा के बदले अच्छी मासिक पेंशन मिलती हैं। नई पेंशन योजना फायदेमंद नहीं है। इसमें कार्मिकों का पेंशन के नाम पर जमा पैसा यूटीआई, एसबीआई तथा एलआईसी के पास जाता है जो इसको शेयर मार्केट में लगाते हैं। सेवानिवृत्ति के समय जो बाजार भाव रहेगा उसके अनुसार कार्मिक को पैसा मिलेगा। हो सकता है उसका मूलधन भी उसे ना मिले। अत: यह नितान्त आवश्यक है कि सरकारी कर्मचारियों के हित में सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था को तुरंत बहाल किया जाए ताकि सेवानिवृत्ति के बाद व्यक्ति स्वाभिमान के साथ जीवन जी सकें। 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के संगठनों के अध्यक्षों का कहना है कि नेताओं ने अपने लिए अलग नियम ना रखे हैं स्वयं पुरानी पेंशन ले रहे हैं और हम लोगों को नई पेंशन के फायदे गिना रहे हैं। उनका कहना है कि अगर कोई नेता पूर्व सांसद या विधायक की पेंशन ले रहा है और फिर से मंत्री बन जाता है तो उसे मंत्री पद के वेतन के साथ ही पेंशन भी मिलती है। सांसदों और विधायकों को डबल पेंशन लेने का हक है। अगर कोई विधायक रहा हो और बाद में सांसद बन जाए तो उसे दोनों की पेंशन मिलती है। पेंशन के लिए कोई न्यूनतम समयसीमा तय नहीं है, यानी कितने भी समय के लिए नेताजी सांसद रहे हों पेंशन पाने के हकदार रहेंगे। मृत्यु होने पर परिवार को आधी पेंशन मिलती है।

ये भी पढ़े-  आवास की आशा बनी निराशा, अब परिवार कच्ची छत के नीचे गुजर बसर करने को मजबूर

इसके विपरीत हम लोगों को नवीन पेंशन के नाम पर लूट रहे हैं। एक शिक्षक रामेंद्र सिंह का कहना है कि पुरानी और नई पेंशन की तुलना वे कर रहे हैं जो स्वयं पुरानी पेंशन का लाभ ले रहे हैं। नई पेंशन यदि इतनी अच्छी है तो विधायक, सांसद पुरानी पेंशन क्यों ले रहे हैं। एक अन्य शिक्षक आलोक दीक्षित का कहना है कि न्यू पेंशन स्कीम नेताओं को और पुरानी पेंशन स्कीम कर्मचारियों को मिलनी चाहिए। आखिर जब न्यू पेंशन स्कीम इतनी ही अच्छी है तो इसके बेमिसाल फायदों से हमारे नेता जी क्यों वंचित रहें? शिक्षिका सुनीता सिंह का कहना है कि अगर एनपीएस से शिक्षकों को ज्यादा लाभ मिल रहा है और वे उसे लेना नहीं चाह रहे हैं तो सरकार पुरानी पेंशन योजना उन पर क्यों लागू नहीं करती इससे सरकार को ही फायदा होगा। राजेश कटियार का कहना है कि मैं किसी भी पेंशन योजना के लाभ व हानि के बारे में बात नहीं करता। मैं सिर्फ एक बात कहता हूं कि नेताओं को तो किसी भी प्रकार की पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। यह कोई परीक्षा पास करके 60 साल की नौकरी के लिए नियुक्त नहीं हुए हैं। जनता इनको केवल 5 साल के लिए चुनती है जिस तरह ग्राम प्रधान को पेंशन नहीं मिलती उसी तरह से विधायकों-सांसदों को भी पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। आखिर विधायक-सांसद पुरानी पेंशन का लाभ क्यों ले रहे हैं ? सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन के लाभ बता रहे हैं खुद पुरानी पेंशन ले रहे हैं। समानता का व्यवहार होना चाहिए।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button