परिषदीय विद्यालयों में होगा मीना मंच और बाल संसद का गठन
अब परिषदीय विद्यालयों में भी सीबीएसई की तरह ही बाल संसद का गठन किया जाएगा। बाल संसद और मीना मंच में शामिल बच्चों को विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया जाएगा ताकि उनमें जिम्मेदारियों का भाव जाग सके।

- 06 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मानसिक-सामाजिक रूप से दक्ष बनाना मकसद
लखनऊ/कानपुर देहात। अब परिषदीय विद्यालयों में भी सीबीएसई की तरह ही बाल संसद का गठन किया जाएगा। बाल संसद और मीना मंच में शामिल बच्चों को विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया जाएगा ताकि उनमें जिम्मेदारियों का भाव जाग सके। राज्य परियोजना निदेशक ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें प्रार्थना, योग, व्यायाम, स्वच्छता, पेयजल व्यवस्था, कक्षा की क्रियाएं, अनुशासन, मध्याह्न भोजन वितरण व्यवस्था, मीना की कहानियां एवं पुस्तकालय की किताबों का वितरण एवं पाठन आदि शामिल है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग उच्च प्राथमिक विद्यालयों में मीना मंच तथा प्राथमिक विद्यालयों में बाल संसद का गठन कराने जा रहा है।
विभाग ने नई शिक्षा नीति के तहत जारी दिशा निर्देश के तहत इसके लिए एक कार्ययोजना तैयार की है जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं को मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूरी तरह से दक्ष बनाना है। मीना मंच के माध्यम से बालिकाओं में नेतृत्व तथा अभिव्यक्ति की क्षमता संवर्द्धन करने के साथ-साथ उन्हें विभिन्न कौशलों में पारंगत बनाना है। सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में मीना मंच का संचालन किया जाएगा। इसी प्रकार से बालकों में उनके आसपास के परिवेश के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित करने के लिए प्राथमिक विद्यालयों में बाल संसद का गठन कर उसे सक्रिय किया जाएगा।
मीना मंच के दायित्व-
मंच की सक्रिय बालिकाओं में से प्रत्येक कक्षा के लिए एक बालिका को पावर एंजिल्स के रूप में चिन्हित किया जाएगा। यह पावर एंजिल्स अपनी कक्षा के हर छात्रा से निरंतर सम्पर्क रखेगी। उसकी कक्षा में अनुपस्थित रहने वाली छात्रा के अभिभावक से सम्पर्क कर उसकी समस्या का समाधान कराएगी।
बाल संसद के दायित्व-
प्राथमिक विद्यालयों में बाल संसद बनाकर उसे सक्रिय किया जाएगा। बाल संसद से जुड़े बच्चों को विद्यालय के विभिन्न कार्यों के संचालन में सहभागी बनाया जाएगा। इसमें जिम्मेदारियों को बांटते हुए बच्चों को बदल-बदल कर चयन किया जाएगा।
बीएसए रिद्धी पाण्डेय ने बताया कि बाल संसद विद्यालय के बच्चे-बच्चियों का एक मंच है। इससे जीवन कौशल का विकास, बच्चों में नेतृत्व व निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करने, विद्यालय गतिविधियों व प्रबंधन में भागीदारी बढ़ाने, विद्यालय को आनंददायी, सुरक्षित व साफ सुथरा रखना है।
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