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भ्रष्टाचार है पांव पसारे, मेरे देश में : रामसेवक वर्मा
मालसा ब्लॉक के देवीपुर गांव में विगत रात्रि मां गुमता रंजन आश्रम में समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रामावतार इंजीनियर के माता-पिता की 25वीं स्मृति दिवस पर एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता महेश मंगल ने की तथा संचालन त्रिभुवन नारायण ने किया मां वाणी की वंदना सत्येंद्र निर्झर ने पड़ी l
पुखरायां l मालसा ब्लॉक के देवीपुर गांव में विगत रात्रि मां
गुमता रंजन आश्रम में समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रामावतार इंजीनियर के माता-पिता की 25वीं स्मृति दिवस पर एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता महेश मंगल ने की तथा संचालन त्रिभुवन नारायण ने किया मां वाणी की वंदना सत्येंद्र निर्झर ने पड़ी l
भरथना इटावा के वरिष्ठ कवि महेश मंगल अपनी अपना कब पाठ करते हुए सुनाया-
तुम्हारे कान गिरवी है कहूं तो क्या सुनोगे तुम I
रहूं खमोश भी कैसे गलत रास्ता चलोगे तुम I
अभी भी वक्त है संभलो नहीं तो हाल वो होगा,
सियासी मंडियों में मोल माटी के विकोगे तुम I ।
एटा मैनपुरी के हास्य व्यंग के कवि सत्येंद्र निर्झर ने अपना कब पाठ करते हुए सुनाया-
तुम्हारे आसमानों पर बड़े परचम नहीं होते।
धरा पर हम नहीं होते धरा पर तुम नहीं होते ।
कहा ऋषियों ने वाणी से लिखा पावन ऋचाओं पर,
माता-पिता ईश्वर से बिल्कुल कम नहीं होते। ।
अकबरपुर कानपुर देहात से आए खोज कवि कमलाकांत दिक्षित ने अपना कब पाठ करते हुए सुनाया-
बड़े घरों के बाहर अनुभव को आहे भरते देखा।
टूटी खाट फटी चादर से नैनो को झरते देखा।
हवन कर दिया सारा जीवन जिनके सुख-दुख की खातिर,
उन चालाक परिंदों को मौका पाकर उड़ते देखा l I
पुखरायां के कवि संजीव कुलश्रेष्ठ ने अपना गीत सुनाते हुए कहा –
सफर के मारे हुए नींद के सताए हैं I
गमों की गोद में रहकर भी मुस्कुराए हैं I
कोई हम दर्द चुभन को जरूर समझेगा,
बस इसी आस में हम इतनी दूर आए हैं।।
रामसेवक वर्मा ने अपना काव्य पाठ करते हुए सुनाया-
भ्रष्टाचार है पांव पसारे, मेरे देश में I
घर-घर में है बैठा दानव, हर एक भेष मैं I ।
राजपुर के कवि त्रिभुवन कुलश्रेष्ठ ने अपनी रचना सुनते हुए कहा-
केवल उपदेशक बन, जग में जीना अधिकार लगा I
देश प्रेम पर पार्टी पर, मर मिटना अधिकार लगा l I
पुखरायां संजीव सार्थक ने अपना कब पाठ करते हुए सुनाया- कहानी हम नहीं कहते कहानी वह नहीं कहते I
जख्म जो मेरे दिल के हैं जवानी हम नहीं कहते ।
जमाना जान जाएगा मोहब्बत में है क्या यूं ही,
परेशानी वह नहीं कहते परेशानी हम नहीं कहते। I
कानपुर के कवि लाल सिंह लाल ने सुनाया-
जो भी सोचा वह करके गुजारा हूं l
जान हथेली पर मैं घर के गुजरा हूं l I
पुखरायां के सौरभ यादव ने हास्य व्यंग पढ़ते हुए सुनाया-
यह वो दौर है जनाब इंसान गिर जाए तो हंसी निकल आती है।
और अगर मोबाइल गिर जाए तो जान निकल जाती है।।
पुखरायां के कवि अशोक मिश्रा ने अपना का पाठ पढ़ाते हुए सुनाया- बगुले हैं सम्राट, हमारे गांव में I
उनके अच्छे हैं ठाट, हमारे गांव में I ।
शाहजहांपुर के कवि राजकुमार शर्मा स्नेही ने अपनी रचना सुनते हुए कहा-
मां घर का गौरव है तो ,
पिता घर की आन बान शान है।।
सायर अफरीदी ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा था-
कभी उस रास्ते पर आ चुका था l
समय सब कुछ मुझे समझा चुका था l
बिछड़ना तो नहीं चाहा था हमने,
मगर वह हद से आगे जा चुका था।।
इस मौके पर शिक्षक रमेश चंद्र यादव, पंकज प्रेमी, चंद्र प्रकाश सिंह, राम शंकर आदि लोग मौजूद रहे l