साहित्य जगत

।। घर घर की पहचान हैं ये लड़कियां ।।

।। घर घर की पहचान हैं ये लड़कियां ।। आज़ाद पंक्षी सी होती हैं ये लड़कियां हर पंख से एक…

2 years ago

नेता भईया

कागज की नाव आप चलाएंगे कब तक जनता को पागल बनायेंगे कब तक। कहते हैं हर आंख के आंसू पोंछ…

2 years ago

मै कौन हूँ

इस जहां में मैं खुद को तलाशता  रहा.... मैं कौन हूं... क्या है मेरा वजूद....? बस खुद से किए सवाल…

2 years ago

सिर्फ़ बुद्धिमान नहीं भावनात्मक रूप से भी मज़बूत बने

सफलता के पैमाने टूट जाते हैं और तमाम प्रश्न  दिमाग़ में कौंदने लगते हैं, जब तथाकथित सफल व्यक्ति अपने जीवन…

2 years ago

मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं ??

मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं ?? मैं! पूछना चाहती हूं इस समाज धर्म के ठेकेदारों से आखिर!…

2 years ago

डायरी के पन्ने (अपराध और नशा)- भाग पहला

हमारे समाज में जो भी घटनाएं होती आ रही रहा है? देश दुनियां की राजनीतिक में होता आ रहा है?…

2 years ago

क्या नारी सिर्फ शब्द मात्र है? या ईश्वर का अंश

नर शब्द का स्त्रीलिंग नारी है पर ध्यान देने वाली बात है कि, नर शब्द के साथ कभी शक्ति शब्द…

2 years ago

मिलने का बहाना

नजरें चुरा के जमाने से तुम मिलने आना किसी बहाने से तुम। लोग खड़ी करेंगे दीवार उठाएंगे उंगलियां बेशुमार। जिनको…

2 years ago

परंपरा की परंपरा का परम्पराओं से बड़ा पुराना नाता, वर्तमान का नवयुवक नहीं इसे निभाता

आज भी परंपराओं को निभाने की परंपरा जिंदा है। पैदा होने से लेकर मरने तक यहां आदमी परंपराओं को निभाता…

2 years ago

थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में।

थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में। ना भूंख देखी…

2 years ago

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