साहित्य जगत
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।। घर घर की पहचान हैं ये लड़कियां ।।
।। घर घर की पहचान हैं ये लड़कियां ।। आज़ाद पंक्षी सी होती हैं ये लड़कियां हर पंख से एक…
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नेता भईया
कागज की नाव आप चलाएंगे कब तक जनता को पागल बनायेंगे कब तक। कहते हैं हर आंख के आंसू पोंछ…
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मै कौन हूँ
इस जहां में मैं खुद को तलाशता रहा…. मैं कौन हूं… क्या है मेरा वजूद….? बस खुद से किए सवाल…
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सिर्फ़ बुद्धिमान नहीं भावनात्मक रूप से भी मज़बूत बने
सफलता के पैमाने टूट जाते हैं और तमाम प्रश्न दिमाग़ में कौंदने लगते हैं, जब तथाकथित सफल व्यक्ति अपने जीवन…
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मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं ??
मासिक धर्म के नाम पर ये आडंबर क्यूं ?? मैं! पूछना चाहती हूं इस समाज धर्म के ठेकेदारों से आखिर!…
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डायरी के पन्ने (अपराध और नशा)- भाग पहला
हमारे समाज में जो भी घटनाएं होती आ रही रहा है? देश दुनियां की राजनीतिक में होता आ रहा है?…
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क्या नारी सिर्फ शब्द मात्र है? या ईश्वर का अंश
नर शब्द का स्त्रीलिंग नारी है पर ध्यान देने वाली बात है कि, नर शब्द के साथ कभी शक्ति शब्द…
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मिलने का बहाना
नजरें चुरा के जमाने से तुम मिलने आना किसी बहाने से तुम। लोग खड़ी करेंगे दीवार उठाएंगे उंगलियां बेशुमार। जिनको…
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परंपरा की परंपरा का परम्पराओं से बड़ा पुराना नाता, वर्तमान का नवयुवक नहीं इसे निभाता
आज भी परंपराओं को निभाने की परंपरा जिंदा है। पैदा होने से लेकर मरने तक यहां आदमी परंपराओं को निभाता…
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थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में।
थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में। ना भूंख देखी…
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