साहित्य जगत
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मां
यादों के झरोखे से मैंने, जब अपनी मां को देखा। सामने आ गई लम्हों की, समस्त रुप रेखा।। जब घर…
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“मेरी भोली-भाली माँ”
मेरी माँ, जो सेल्फी नहीं समझती, माँ जो बातचीत करते-करते खाना बनाती है। पता नहीं कहाँ से इतना अच्छा मापतौल…
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“उमंगों की उड़ान (लघुकथा)”
जानकी गोपाल की परवरिश को लेकर बहुत चिंतित थी। बहुत सारी समस्याओं से घिरे होने के कारण वह हर समय…
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मेहनतकश मजदूर की तस्वीर”
मजदूर की तस्वीर होती मेहनत और हौसलों की उड़ान से भरी। वैसे तो हर व्यक्ति की आवश्यकताओं की है अपनी-अपनी…
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।। किताबों में मेरा दिल हैं बसा और मुझमें समाया एक अंश इनका ।।
।। किताबों में मेरा दिल हैं बसा और मुझमें समाया एक अंश इनका ।। # एक लेखक, एक साहित्यकार या…
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वृद्धि हो ऐसी जो करे विकास
वर्तमान में जारी बहस- वृद्धि बनाम विकास। असहमति यह है कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए कौन सा मॉडल सटीक…
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।। सरगम के सात सुर और मेरी घुंघरू की रुनझुन ।।
।। सरगम के सात सुर और मेरी घुंघरू की रुनझुन ।। सरगम के सात सुर सजते हैं जब जब, मेरे…
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नैतिकता का ठेका
नैतिकता फेमिनिस्ट्स की तरह लिंगभेद नहीं करती वो स्त्री व पुरुष दोनों के लिए एक समान आवश्यक और जन्म से…
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“भक्ति की शक्ति का प्रभाव”
कहते है ईश्वर प्रत्येक आडंबर से दूर केवल भक्त के अधीन होते है। यही भगवान जब भक्त किसी विकट परिस्थिति…
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।।जायज बनाम नाजायज संबंध ।।
।।जायज बनाम नाजायज संबंध ।। # दौर बदले,ढंग बदले जीवन जीने की शैली भी बदली। कहां,हम एक मानसिक रूप से …
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