साहित्य जगत
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दोस्त तेरे बिना मैं किधर जाऊंगा
दोस्त तेरे बिना मैं किधर जाऊंगा टूट जाऊंगा बिखर जाऊंगा। जिंदगी दर्द बन जाएगी कोई खुशी मेरे पास रह ना…
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शक की नजरों से क्यों देखी जाती है एक अकेली औरत
यह विषय बड़ा अजीब लग सकता है लेकिन आज समाज मे इस पर बहस होनी अतिआवश्यक है।अकेली औरत होने के…
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मेहनत करते है हम तो कमाने खाने वाले हैं। सुना है अच्छे दिन आने वाले हैं।
मेहनत करते है हम तो कमाने खाने वाले हैं। सुना है अच्छे दिन आने वाले हैं। मेहनत से सब कुछ…
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संवेदनहीन होता समाज : कन्नौज की तड़पती 12 साल की बच्ची
“कन्नौज के एक सरकारी गेस्ट हाउस के अहाते में दर्द से तड़पती, मदद के लिए हाथ थाम लेने की गुहार…
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साथ रहने वाला इतनी जल्दी बदलेगा। किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।
साथ रहने वाला इतनी जल्दी बदलेगा। किसे पता था दोस्त दुश्मन निकलेगा।फूलों को हटाने लगे,मेरे रास्ते में कांटों को बिछाने…
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काले बादलों को देख के मन डर गया है।
काले बादलों को देख के मन डर गया है। मैं हूं अकेली,पिया शहर गया है। तड़पती हूं तड़पाता है ये…
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माँ का द्वितीय स्वरूप : “ब्रह्मचारिणी”
नवरात्रि के नौ दिवस हम माता के विभिन्न स्वरूपों की स्तुति करते है, उन्हीं में नवरात्रि के दूसरे दिन माँ…
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छोड़ दूँ क्या…..?
मिली असफलताएँ, हौसला तोड़ दूँ क्या? बहती उल्टी धारा, तैरना छोड़ दूँ क्या? नहीं होती हार, जो करता कोशिश बारम्बार, आख़िर चींटी चढ़ जाती लेकर भार, जूझना छोड़ दूँ क्या? मिली चुनौतियाँ, सपने तोड़ दूँ क्या? अब आ गए मझधार, रास्ता मोड़ दूँ क्या? मिली उसे मंज़िल, जिसने गिने मील के पत्थर हज़ार, आख़िर कछुआ कर गया पाला पार, चलना छोड़ दूँ क्या? मिली ज़िम्मेदारियाँ, नज़रें मोड़ दूँ क्या? बढ़ने लगा बोझ,…
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न जाने क्यों लगता हूँ….?
मिलता-जुलता हज़ारों से, पराया सा लगता हूँ। होती पूरी सारी ख्वाहिशें, मायूस सा लगता हूँ। देखूँ सपने जब अपनों के…
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