थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में।
थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में। ना भूंख देखी ना मैने देखी प्यास नंगे पांव चल दिया ले के पिया की आस।

थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में
दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में।
ना भूंख देखी ना मैने देखी प्यास
नंगे पांव चल दिया ले के पिया की आस।
छाले भी पड़ गए मेरे पांव में
दूर से चल के आया हूं तेरे गांव में
थोड़ी देर ठहर जाऊं…..।
तेरी लगन तुझ तक मुझे खींच ही लाई
पत्थर मिले रास्ते में ठोकर भी खाई।
कांटे भी चुभ गए मेरे पांव में
दूर से चलके आया हूं तेरे गांव में।
थोड़ी देर ठहर जाऊं…..।
तरसती थीं अंखियां होते नहीं दर्शन।
सांवरे की याद में भटकता था मन
बेड़ियां पड़ीं थीं मेरे दोनों पांव में।
दूर से चलके आया हूं तेरे गांव में
थोड़ी देर ठहर जाऊं पीपल की छांव में।
गीतकार अनिल कुमार दोहरे
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