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गले में गाँठ को समझा कंठमाला, पर निकली टीबी 

इंटरमीडिएट पास करने के बाद वर्ष 2021 में 22 वर्षीय राधा ने जब स्नातक में दाखिला लिया तभी उन्हें बुखार आया पर उन्होंने इसे नज़र अंदाज़ किया। बुखार नहीं उतरने पर परिजनों ने राधा को अस्पताल में एडमिट करवाया और वह ठीक होकर वापस घर आ गयीं। अभी कुछ राहत मिली ही थी कि उनके गले में तीन गाँठ उभरने लगीं। गाँव के कुछ लोगों ने इसे कंठमाला बताया और कहा झाड़फूंक करवाओ।

Story Highlights
  • धैर्य और पारिवारिक सहयोग से राधा हुई पूरी तरह स्वस्थ
  • अब चैंपियन बनकर बता रहीं झाड़ फूँक से नहीं बल्कि सही इलाज और दवाओं से ठीक होती है टीबी 
  • शरीर के किसी भी अंग में गांठ के रूप में होती है लिम्फ नोड्स की टीबी - डीटीओ 
कानपुर : इंटरमीडिएट पास करने के बाद वर्ष 2021 में 22 वर्षीय राधा ने जब स्नातक में दाखिला लिया तभी उन्हें बुखार आया पर उन्होंने इसे नज़र अंदाज़ किया। बुखार नहीं उतरने पर परिजनों ने राधा को अस्पताल में एडमिट करवाया और वह ठीक होकर वापस घर आ गयीं। अभी कुछ राहत मिली ही थी कि उनके गले में तीन गाँठ उभरने लगीं। गाँव के कुछ लोगों ने इसे कंठमाला बताया और कहा झाड़फूंक करवाओ।
तब परिवार के सदस्य घबरा गये और जागरूकता और जानकारी के अभाव में एक तांत्रिक (ओझा) के पास ले गये। कुछ आराम न मिलने पर एक दिन घर में सपेरे को बुलाकर भाई ने पूरी स्थिति बताई तो सपेरे ने राधा के गले में सांप लपेटकर कुछ मन्त्र पढ़े और कुछ जड़ीबूटी हाथ में बांधकर कहा कि इसे तीन दिन बाद खोलना। यह बिलकुल ठीक हो जायेगी। तीन दिन बाद भी जब कुछ फायदा नहीं हुआ तब एक रिश्तेदार ने जिला अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने की हिदायत दी। घर वालों ने गंभीरता से लेते हुए जिला अस्पताल उर्सिला दिखाया और वहां से राधा को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (हैलेट) रेफर कर दिया।  मेडिकल कॉलेज में जाँच में प्रथम स्टेज की गले में लिम्फ नोड्स यानि गांठ की टीबी की पुष्टि हुईI
ब्लॉक कल्याणपुर के ग्राम कटरा भैसौर निवासी राधा बताती हैं कि परिवार में उसके अलावा उनका एक बड़ा भाई और मां हैं I ऐसे में इलाज और बहन की देख रेख में मुश्किल होते देख भाई ने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह उनके इलाज और देख रेख में जुट गए I इस बीच राधा ने चिकित्सक की सलाह पर पढ़ाई भी जारी रखी। वह बताती हैं, हर रोज दवा खाने से ऊब जाती थीं , शरीर में गर्मी आने लगती थी, लेकिन यह सोचकर दवा खाती रही कि कोर्स पूरा होने के बाद वह भी सामान्य लोगों की तरह जीवन गुजार सकेगी । लगभग छह महीने तक नियमित दवा के सेवन से वह पूरी तरह से ठीक हो गयीं। वह अब एकदम स्वस्थ है |
अब गांव-समाज में जगा रहीं हैं जागरूकता की अलख:
टीबी से स्वस्थ होकर राधा सहयोगी संस्था वर्ल्ड विज़न के साथ वर्ष 2023 से जुड़कर चैंपियन के रूप में काम कर रहीं हैं। गांवों में महिलाओं और पुरुषों के साथ बैठक करके उन्हें टीबी से बचाव की समुचित जानकारी तथा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सेवाओं के बारे में जानकारी देती हैं। साथ हीं लोगों टीबी के लक्षण बताते हुए समझाती है की टीबी के लक्षण दिखने पर किसी झाड़ फूँक या अन्धविश्वास में ना पड़कर हमेशा चिकित्सकीय सलाह ही लेनी चाहिये।
विद्यालयों में लगाती हैं टीबी की पाठशाला
टीबी से ठीक होने के बाद राधा ने यह संकल्प लिया कि टीबी के प्रति समाज के हर वर्ग के लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने टीबी को लेकर जागरूकता संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्कूली बच्चों को भी शामिल किया।  वह विद्यालयों में जाकर बच्चों को टीबी से बचाव, लक्षण, इलाज तथा सुविधाओं के बारे में जानकारी देकर और लोगों जागरूक करने की अपील करती हैं। बच्चे भी अपने दोस्त, घर-परिवार और आस-पास के लोगों को जागरूक करें, ताकि समाज से टीबी का खात्मा किया जा सके।
लिंफ नोड्स की टीबी या गांठ की टीबी में नहीं होती बलगम की शिकायत
जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा बताते हैं कि शरीर के किसी भी अंग में गांठ के रूप में होने वाली टीबी को लिम्फ नोड्स की टीबी या गांठ की टीबी कहते हैI लिम्फ नोड्स की टीबी में बुखार आना,वजन कम होना और भूख कम लगना जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसमें सामान्य तौर पर खांसी या बलगम की शिकायत नहीं होती है, इसी वजह से टीबी का पता नहीं चल पाता हैI  डीटीओ बताते हैं कि लिम्फ  नोड्स की टीबी में कई बार गांठ के आकार बड़े होकर फट जाते है। लिम्फ नोड्स ट्यूबरक्लोसिस में बायोप्सी से ही सटीक जांच की जा सकती है। कुछ मामलों में उपचार के लिए सर्जरी की सहायता लेनी पड़ती हैI उन्होंने बताया पिछले वर्ष कुल 24706 टीबी मरीज़ नोटिफाई हुए जिनमें 27 में लिंफ नोड्स की टीबी थी। उन्होंने बताया इस वर्ष 2024 में अब तक कुल 558 क्षयरोगी नोटिफाई हुए है।
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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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