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प्रकति के विपरीत परिवर्तन की कोशिश हमेशा से घातक: प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी
प्रकृति के विपरीत परिवर्तन करने की कोशिश हमेशा से ही खतरनाक परिणाम देने वाली रही है। कृत्रिम परिवर्तन का परिणाम हमेशा से घातक रहा है, भले ही उसका विपरीत प्रभाव जल्दी या देर से पड़ा हो। कोरोना जैसी घातक बीमारी इसी का परिणाम है।

- दीनदयाल शोध केन्द्र में चलाया गया वृक्षारोपण कार्यक्रम
कानपुर,अमन यात्रा। प्रकृति के विपरीत परिवर्तन करने की कोशिश हमेशा से ही खतरनाक परिणाम देने वाली रही है। कृत्रिम परिवर्तन का परिणाम हमेशा से घातक रहा है, भले ही उसका विपरीत प्रभाव जल्दी या देर से पड़ा हो। कोरोना जैसी घातक बीमारी इसी का परिणाम है। सुखी मानव जीवन के लिए प्रकृति का साथ आवश्यक है। ये विचार छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति एवं दीनदयाल शोध केंद्र के निदेशक प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने दीन दयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद दर्शन पर बोलते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को सदैव प्रकृति से जुड़कर, उसके हित में रहकर कार्य करने चाहिए। इसी श्रृंखला में उन्होंने पं. दीन दयाल उपाध्याय शोध केंद्र में वृक्षारोपण कर यह संदेश भी देने की कोशिश की कि प्रकृति का अनावश्यक दोहन नही, बल्कि संरक्षण होना चाहिये। अन्य वक्ताओं ने भी प्रकृति और मानव जीवन के बीच के सामंजस्य पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये।
साथ ही औषधीय पौधों की हमारे जीवन में उपयोगिता को भी विस्तार से बताया।कार्यक्रम का संचालन शुभा सिंह ने किया। कार्यक्रम में शोध सहायक डॉ. मनीष द्विवेदी, राकेश मिश्र, प्रेरणा शुक्ला, संजय यादव तथा प्रियांशु पांडे की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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