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कानपुर के कुरसौली में हर घर में बीमार, चूहों से लेप्टोस्पायरोसिस का संक्रमण फैलने की आशंका

कल्याणपुर के कुरसौली गांव में गंदगी एवं चूहों का आतंक है। घर से लेकर खेतों में बड़े-बड़े चूहे हैं। नालियों में गंदगी और सीवर बजबजा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम डेंगू और मलेरिया तक सीमित है। बुधवार को गांव गए जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों ने बुखार पीडि़तों व मृतकों की केस हिस्ट्री खंगाली, जिसमें लिवर में संक्रमण मिला है।

कानपुर, अमन यात्रा । कल्याणपुर के कुरसौली गांव में गंदगी एवं चूहों का आतंक है। घर से लेकर खेतों में बड़े-बड़े चूहे हैं। नालियों में गंदगी और सीवर बजबजा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम डेंगू और मलेरिया तक सीमित है। बुधवार को गांव गए जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों ने बुखार पीडि़तों व मृतकों की केस हिस्ट्री खंगाली, जिसमें लिवर में संक्रमण मिला है। ऐसे में गांव में लेप्टो स्पायरोसिस (रैट फीवर) का संक्रमण फैलने की आशंका जताई है।

मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने कुरसौली गांव में दम तोडऩे वाले 13 बुखार पीडि़तों का डेथ आडिट कराने का निर्देश दिया था। मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने चार सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम बुधवार सुबह कुरसौली गांव भेजी। टीम में माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा, बाल रोग विभाग की प्रोफेसर डा. रूपा डालमिया सिंह, मेडिसिन विभाग के डा. ललित एवं कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के डा. सौरभ त्रिपाठी गए थे। टीम ने गांव का जायजा लिया। सभी 13 मृतकों के घर भी गई। उनके इलाज एवं जांच रिपोर्ट का अध्ययन भी किया। स्कूल में लगे हेल्थ चेकअप कैंप भी गई। उसकी रिपोर्ट तैयार की प्राचार्य को देगी, जिसे वह मंडलायुक्त को सौंपेंगे।

खुली हैं नालियां, तालाब में गंदगी : विशेषज्ञों की टीम ने देखा कि नालियां खुली हैं, जिसमें पानी एवं गंदगी बजबजा रही थी। गांव में शौचालय तो बने हैं, पर उनकी गंदगी नालियों में ही बहाई जा रही है। उसमें मच्छरों के लार्वा पनप रहे हैं। गांव के समीप ही तालाब है, जिसमें गंदगी बहाई जा रही है।

घरों से लेकर गांव तक चूहे : विशेषज्ञों ने पाया कि घरों से लेकर गांव तक चूहों का आतंक है। घरों में चूहों के बिल बने हैं, ऐसे ही बिल खेतों में भी हैं। बड़े-बड़े चूहे भी दिख रहे थे। इस वजह से दूसरी बीमारियां फैलने की आशंका जताई जा रही है।

 

मरने वालों में सर्वाधिक महिलाएं : विशेषज्ञों ने पाया कि गांव में 13 मौतें हुईं हैं, उसमें दो बच्चे, दो पुरुष एवं नौ महिलाएं हैं। उनके प्लेटलेट््स काउंट कम थे और उनका लिवर भी प्रभावित था। ऐसे में लेप्टो स्पायरोसिस के संक्रमण की आशंका भी जताई जा रही है।

कम हुए बुखार के मरीज : विशेषज्ञों ने पाया कि बुखार के मरीज पहले की अपेक्षा अब कम हुए हैं। पहले जहां 60-70 मरीज आ रहे थे। अब उनकी संख्या घटकर 7-8 पर पहुंच गई है। गांव में साफ-सफाई और फाङ्क्षगग भी कराई जा रही है।

क्या होता है लेप्टोस्पायरोसिस:  लेप्टोस्पायर नामक जीवाणुओं से होता है, जो संक्रमित जानवरों के मूत्र में पाया जाता है। इसका संक्रमण जानवरों से मनुष्य तक फैल सकता है। आमतौर पर यह चूहे, गिलहरी, भैंस, घोड़े, भेड़, बकरी, सूअर और कुत्ते द्वारा फैलता है।

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Author: pranjal sachan

कानपुर ब्यूरो चीफ अमन यात्रा


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