स्नेहा सिंह
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कविता
।। एक अधूरी ख्वाहिश मन की ।।
।। एक अधूरी ख्वाहिश मन की ।। # अधूरी छूट ही जाती हैं आखिर! कई अभिलाषाएं मन की । मन…
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कविता
सत्ता विहीन सख्श नही किसी काम का मान,सम्मान भी नही पूरा उसे मिलता अपने नाम का
राजनीति की बात करे या करे सामान्य जन जीवन की तो सत्ता की अहम भूमिका हैं उसमें हर किरदार, हर…
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कविता
गांव के गलियारे, शहरों में वो अपनत्व कहां
गांव के गलियारे शहरों में वो अपनत्व कहां जो हैं गांव के गलियारे में सुकून हैं,नीम की छांव हैं l…
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