उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूजलखनऊ

बेसिक शिक्षकों की जायज मांग की लगातार उपेक्षा तथा भेदभाव शिक्षकों को बना रहा है मानसिक रोगी

नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा, अर्जित अवकाश, प्रतिकर अवकाश, पदोन्नति, स्थानांतरण, समायोजन सहित दर्जनों मांगों को जिम्मेदारों द्वारा लगातार नजर अंदाज किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति न करके बगैर पदोन्नति प्रभारी प्रधानाध्यापक की भूमिका निर्वहन करने के लिए बेसिक शिक्षकों को बाध्य किया जा रहा है।

अमन यात्रा, लखनऊ / कानपुर देहात :  नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा, अर्जित अवकाश, प्रतिकर अवकाश, पदोन्नति, स्थानांतरण, समायोजन सहित दर्जनों मांगों को जिम्मेदारों द्वारा लगातार नजर अंदाज किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति न करके बगैर पदोन्नति प्रभारी प्रधानाध्यापक की भूमिका निर्वहन करने के लिए बेसिक शिक्षकों को बाध्य किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें कोई भी अतिरिक्त पारिश्रमिक या धनराशि भी नहीं दिया जाता। बेसिक शिक्षक स्वयं को अन्य राज्य कर्मचारियों की तुलना में न सिर्फ उपेक्षित और शोषित महसूस कर रहे हैं अपितु उनके तनाव में वृद्धि भी हो रही है।

परिषदीय विद्यालय यानी लेखा-जोखा और सूचनाओं का अंबार-

परिषदीय विद्यालयों में विभिन्न तरह की पंजिकाएं होती हैं उनको अद्यतन करना। विभिन्न फार्मेट में तुरंत सूचनाएं मांग ली जाती हैं उनको तैयार करना तथा प्रेषित करना, डीबीटी आधार सत्यापन, विभिन्न डाटा फीडिंग तथा अपलोडिंग, विभिन्न बैठक आयोजित करना उसका लेखा-जोखा तैयार करने की भी जिम्मेदारी शिक्षकों को ही दी गई है। ध्यातव्य है इन सब लेखा-जोखा कार्यों तथा डाटा फीडिंग-अपलोडिंग के लिए परिषदीय विद्यालयों में कोई भी लिपिक या कम्प्यूटर आपरेटर का पद सृजित नहीं है। शिक्षकों को शिक्षण दायित्व के निर्वहन के साथ ही विभिन्न तरह का लेखा-जोखा तैयार करने के लिए बाध्य करना शिक्षकों का न सिर्फ शारीरिक-मानसिक शोषण है अपितु शिक्षकों के निराशा और तनाव वृद्धि का एक मुख्य कारण भी है।

आदेश-निर्देशों में समन्वय का घोर अभाव-

एक तरफ टाइम एंड मोशन संस्था का आदेश है शिक्षक विद्यालय समय में केवल शिक्षण कार्य ही करेंगे। कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य विद्यालय समय में नहीं होगा। दूसरी तरफ विद्यालय समय में शिक्षकों के विभिन्न प्रशिक्षण, बैठक, ऑनलाइन-ऑफलाइन कार्यशाला, गोष्ठी, जागरूकता कार्यक्रम, विभिन्न अभियान, यूट्यूब सेशन, विभिन्न सूचना प्रेषण की अपेक्षा आदि के लिए आदेश आ जाते हैं। ऐसे आदेश शिक्षकों के लिए शिक्षण एकाग्रता में न सिर्फ बाधक हैं बल्कि उनके समक्ष असमंजस की स्थिति भी बन जाती है। इससे अंततः झुंझलाहट और तनाव ही बढ़ता है। इस तरह विभागीय आदेशों निर्देशों से शिक्षक मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो गया है।

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button