कानपुर

 सचेंडी हादसे में सामने आया एक और सच, ठेकेदार लेता था हर माह किराया

 सचेंडी हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों को ठेकेदार की मर्जी पर चलना पड़ता था। ठेकेदार ही मजदूरों के बैंक में खाते खुलवाता था और पासबुक अपने पास रखता था। इन खातों में कंपनी की ओर से आने वाली रकम में से अपना कमीशन व किराया काटकर वह बाकी रकम मजदूरों को देता था

कानपुर, अमन यात्रा: सचेंडी हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों को ठेकेदार की मर्जी पर चलना पड़ता था। ठेकेदार ही मजदूरों के बैंक में खाते खुलवाता था और पासबुक अपने पास रखता था। इन खातों में कंपनी की ओर से आने वाली रकम में से अपना कमीशन व किराया काटकर वह बाकी रकम मजदूरों को देता था। यह आरोप ईश्वरीगंज व लाल्हेपुर के उन ग्रामीणों ने लगाया है, जिनके अपनों की जान हादसे में चली गई।

हादसे के बाद मृतकों के स्वजन ईश्वरीगंज गांव के लेबर ठेकेदार व उसके भाई पर आरोप लगा रहे हैं और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कुछ मृतकों के परिवारों ने ठेकेदार पर सैलरी देने में भी मनमानी का आरोप लगाया है। बलवीर के बेटे सचिन ने बताया कि पांच वर्ष से पिता नौकरी कर रहे हैं, लेकिन कभी पूरा वेतन नहीं मिला। हादसे में मृत ईश्वरीगंज के सूरज के मामा शमशेर ने बताया कि ठेकेदार मजदूरों का बैंक में खाता खुलवाता था और हर महीने कंपनी की ओर से आने वाले वेतन में से किराया व अन्य मदों में पैसे काट देता था। सूरज को ढाई सौ रुपये ही मिलते थे। हर महीने की 15 तारीख को ठेकेदार की ओर से पैसा दिया जाता था। हादसे के बाद से ठेकेदार फरार है। ऐसे में मृतकों का पैसा भी फंस गया है

साइकिल से जाने पर भी देना पड़ता था किराया

सूरज के स्वजन ने बताया कि ठेकेदार की कंपनी में अच्छी पकड़ है। उसका एक भाई वहीं पर सुपरवाइजर है। उसकी वजह से वह लेबर ठेकेदार बन गया। साथ ही अपने पिता के नाम से टेंपो खरीदकर मजदूरों को कंपनी तक लाने के लिए तीसरे भाई को लगा दिया। हर मजदूर से प्रतिमाह 1500 रुपये किराया लिया जाता था। अगर कोई मजदूर साइकिल से जाना चाहे तो भी उसे 500 रुपये देने पड़ते थे।

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Author: aman yatra


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