परिषदीय स्कूलों में छह महीने से रसोईयों को नहीं मिला मानदेय
बेसिक स्कूलों में एमडीएम बनाने वाली रसोइयों के लिए दावे तो खूब हुए लेकिन वे अब भी मानदेय के लिए प्रदर्शन को मजबूर हैं। उनको मात्र 2000 रुपये मानदेय मिलता है वह भी छह महीने से नहीं मिला। अब उनको इंतजार है कि दीपावली से पहले किसी तरह मानदेय मिल जाए तो वे त्योहार मना सकें। वे इस मांग को लेकर 31 को लखनऊ में जुटेंगे और प्रदर्शन करेंगे।
- कैसे मनाएं त्योहार, आखिर संविदा कर्मियों पर क्यों इतना अत्याचार
कानपुर देहात। बेसिक स्कूलों में एमडीएम बनाने वाली रसोइयों के लिए दावे तो खूब हुए लेकिन वे अब भी मानदेय के लिए प्रदर्शन को मजबूर हैं। उनको मात्र 2000 रुपये मानदेय मिलता है वह भी छह महीने से नहीं मिला। अब उनको इंतजार है कि दीपावली से पहले किसी तरह मानदेय मिल जाए तो वे त्योहार मना सकें। वे इस मांग को लेकर 31 को लखनऊ में जुटेंगे और प्रदर्शन करेंगे।
प्रदेश के बेसिक स्कूलों में 3.77 लाख रसोइए हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। पहले उनको 1500 रूपये महीना मानदेय मिलता था। विधानसभा चुनाव से पहले मानदेय बढ़ाकर 2000 रूपये कर दिया गया लेकिन ये बढ़ी हुई राशि इस साल मार्च तक मिली। उसके बाद से ज्यादातर जिलों में अब तक मानदेय का भुगतान ही नहीं हुआ है। वे कई बार अधिकारियों से मिल चुकी हैं। हर बार जल्द भुगतान का आश्वासन दिया गया लेकिन अब तक मानदेय नहीं मिला। रसोइया कल्याणकारी समिति के महामंत्री उमाशंकर कहते हैं कि दिनभर काम करने के बाद 2000 रूपये मानदेय मिलता है। सालभर में केवल 10 महीने ही यह मानदेय दिया जाता है। उसके लिए भी छह-छह महीने का इंतजार करना पड़ता है। होली और दीपावली से पहले आंदोलन करने के बाद यह मानदेय मिलता है।
अल्प मानदेय पर पूरी निष्ठा के साथ काम करने के बावजूद समय से मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता है जबकि वहीं दूसरी ओर शिक्षकों को पहली ही तारीख में वेतन का भुगतान कर दिया जाता है। संविदा कर्मियों का सरकार चौथरपा शोषण कर रही है। यही वजह है कि इस बार 31 अक्तूबर को प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रदेश भर से रसोइए आएंगे। इसमें पूरे 12 महीने का और समय पर मानदेय दिए जाने की मांग मुख्य होगी। इस बारे में एमडीएम प्राधिकरण के डिप्टी डायरेक्टर हरवंश सिंह कहते हैं कि जिन जिलों ने समय पर पुराना भुगतान नहीं किया था उनको सख्त निर्देश दिए गए हैं। साथ ही केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। उसके बाद जल्द ही राज्यांश भी जारी हो जाएगा। जल्द से जल्द मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
ऐसे फंसा रसोइयों का मानदेय-
रसोइयो को मानदेय के लिए केंद्र सरकार ने 1000 रूपये ही स्वीकृत किया है। प्रदेश सरकार ने इसे बढ़ाकर 2000 रूपये किया है। ऐसे में केंद्र सरकार स्वीकृत मानदेय का 60 फीसदी यानि 600 रूपये प्रति रसोइया देती है। बाकी 1400 रूपये राज्य सरकार देती है। केंद्र सरकार ने मॉनिटरिंग सख्त कर दी है। मानदेय के लिए धनराशि जारी होने के बाद जिलों को भेजी जाती है।
कई जिलों ने भुगतान नही किया। ऐसे मे खर्च न होने की वजह से केंद्र सरकार ने राशि रोक दी थी। उसके बाद एमडीएम प्राधिकरण ने सभी जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। अब केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। केंद्राश न मिलने की वजह से राज्य सरकार का भी अंश नहीं मिल पाया। इसी फेर मे रसोईयों का मानदेय फसा हुआ है। अभी तक उनको मार्च तक का ही भुगतान हो पाया है।