महामहिम कोविंद की रेल यात्रा को लेकर हो रही हैं तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रेल यात्रा को लेकर लोगों में बेहद दिलचस्पी है क्योंकि ऐसा 18 साल बाद हो रहा है जब कोई भारतीय राष्ट्रपति रेल यात्रा कर रहे हों. ऐसे में पूरे रास्ते में सुरक्षा व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है.

- सलून की तस्वीरें लेने की भी इजाज़त नहीं
नई दिल्ली,अमन यात्रा : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रेल यात्रा को लेकर लोगों में बेहद दिलचस्पी है क्योंकि ऐसा 18 साल बाद हो रहा है जब कोई भारतीय राष्ट्रपति रेल यात्रा कर रहे हों. ऐसे में पूरे रास्ते में सुरक्षा व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है. लेकिन इसके पुख़्ता इंतज़ाम कर लिए गए हैं. यहां तक कि दिल्ली में तैयार खड़े राष्ट्रपति के शानदार सलून की तस्वीरें लेने की भी इजाज़त नहीं है. रेल मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने अभी तक इस यात्रा की तफ़सील की कोई आधिकारिक पुष्टि भी नहीं की है.
11 डिब्बों का होगा सलून
रेलवे में राष्ट्रपति के लिए एक अलग सलून होता है जिस पर सिर्फ़ राष्ट्रपति ही सफ़र कर सकते हैं. लेकिन इस सलून का इस्तेमाल बहुत कम होने के कारण इसके रखरखाव की समस्या बनी रहती है. इस बार, 18 साल बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से सलून की मांग की गई है इसलिए सुरक्षा कारणों पुराने सलून का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा. रेल सूत्रों के मुताबिक़ रेलवे की रॉयल टूरिस्ट ट्रेन महाराजा ऐसी ट्रेन है जिसमें अत्याधुनिक सुविधाएं हैं और सुरक्षा की दृष्टि से भी इस ट्रेन के रेक को उपयोग में लाया जा सकता है. महाराजा के क़रीब 11 डिब्बों को राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए नए सिरे से अनुकूलित किया जा रहा है.
ये सुविधाएं होती हैं महाराजा रॉयल ट्रेन में
महाराजा ट्रेन की सबसे बड़ी खूबी इसकी भीतरी सुंदरता है. इसे देश के अलग-अलग राज्यों की पेंटिंग कला के नमूनों से सजाया गया है. साथ ही इसे अत्याधुनिक सुविधाओं से भी संवारा गया है. इसमें एक ड्राइंग रूम, डाइनिंग हॉल के अलावा आरामदेह शयन कक्ष भी है.
इसके किचेन में आधुनिक किचेन के सभी उपकरण लगे होते हैं. विशेष ट्रेन होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से भी इसके कोच काफ़ी बेहतर हैं. राष्ट्रपति की सम्भावित इस रेल यात्रा की तारीख़ों की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन माना जा रहा है कि राष्ट्रपति कोविंद 25 जून से 28 जून के बीच रेल यात्रा कर सकते हैं. अपने पैतृक आवास जाने के लिए राष्ट्रपति पहले कानपुर जाएंगे. उससे पहले रूरा और झींझक में स्थानीय लोगों का अभिवादन स्वीकार कर सकते हैं. अंतिम दिन राष्ट्रपति लखनऊ पहुंचेंगे और वहां से फ़्लाइट से लौट सकते हैं.