अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, ऑर्डर हुआ रिजर्व
अनुदेशकों को सकारात्मक फैसले की उम्मीद

राजेश कटियार, लखनऊ/कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश के 25 हजार अनुदेशकों के 17 हजार रुपए मानदेय के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद है। मंगलवार को करीब 3 घंटे चली लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की डबल बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने राज्य सरकार और याचिकाकर्ताओं को 3 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
जब पढ़ेगा इंडिया, तभी बढ़ेगा इंडिया-
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से तीखे सवाल पूछे और कहा जब पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया। आपको मानदेय देने में क्या दिक्कत है? इस पर राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट के सुझाव पर सहमति जताई।
2017 में हुआ था मानदेय दोगुना-
प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अनुदेशकों का मानदेय 2017 में 8,470 रुपए से बढ़ाकर 17,000 रुपए किया गया था। सत्ता परिवर्तन के बाद इसे लागू नहीं किया गया। इसके खिलाफ अनुदेशकों ने लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी।
लखनऊ हाईकोर्ट का आदेश और राज्य सरकार की अपील-
लखनऊ की सिंगल बेंच के तत्कालीन जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने अनुदेशकों को 17,000 रुपए मानदेय 9फीसदी ब्याज सहित देने का आदेश दिया था। राज्य सरकार इस आदेश के खिलाफ अपील में गई। डबल बेंच ने केवल एक साल का 17,000 रुपए भुगतान करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दो साल बाद बहस पूरी-
करीब 2 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता सखाराम यादव, पी.एस. पटवालिया और दुर्गा तिवारी ने अनुदेशकों का पक्ष रखा। मुख्य याची राकेश पटेल और अनुराग भी मौजूद रहे। अनुदेशकों के विधिक सलाहकार बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का रुख अनुदेशकों के पक्ष में दिखाई दे रहा है। बेंच ने संकेत दिए कि जल्द ही विस्तृत आदेश पास किया जाएगा। अनुदेशकों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए उन्हें 17,000 रुपए मानदेय का लाभ दिलाएगी।
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