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अपने गांव के मंच से रावण अभिनय का करेंगे समापन, सुप्रसिद्ध रावण अभिनेता अवध दीक्षित

कानपुर। जनपद की घाटमपुर तहसील क्षेत्र के तेजपुर ग्राम निवासी एवं वरिष्ठ पत्रकार अवध दीक्षित रामलीला के मंच पर चार दशक तक रावण की सशक्त भूमिका निभाने के बाद 31 मार्च को आखरी बार दशानन के अभिनय का समापन कर रहे हैं

Story Highlights
  • चार दशक तक रामलीला क्षेत्र में किया अभिनय

घाटमपुर कानपुर नगर। कानपुर। जनपद की घाटमपुर तहसील क्षेत्र के तेजपुर ग्राम निवासी एवं वरिष्ठ पत्रकार अवध दीक्षित रामलीला के मंच पर चार दशक तक रावण की सशक्त भूमिका निभाने के बाद 31 मार्च को आखरी बार दशानन के अभिनय का समापन कर रहे हैं। 31 मार्च को गांव तेजपुर के मंच पर दशानन अभिनेता ने आखिरी बार अभिनय करने की घोषणा की है। अवध दीक्षित ने सफल पत्रकारिता के साथ दशानन के अभिनय में ख्याति अर्जित की है।

गांव में सालों से बंद रामलीला को फिर से शुरू कराया

चार दशक तक दशानन का अभिनय करने वाले अभिनेता अवध दीक्षित ने बताया कि उनके गांव तेजपुर में प्रतिवर्ष दो दिवसीय रामलीला का आयोजन हुआ करता था। लेकिन बीच में करीब 25 वर्ष तक आयोजन लगातार बंद रहा। जिसे पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने वर्ष 1983 में कमर कसते हुए एक बार फिर अपने हमजोली मित्रों के साथ मिलकर पूरी रामलीला मंडली तैयार की।
बताया कि शुरुआती दौर में उन्होंने गांव के मंच पर धनुषयज्ञ लीला में परशुराम का अभिनय शुरू किया। लेकिन परशुराम के अनुरूप शारीरिक सौष्ठव न होने के चलते उन्होंने इसे बंद करके बाणासुर का अभिनय करना शुरू किया। लेकिन, 6-7 मंच करने के बाद उसे भी बंद कर दिया और रावण का अभिनय शुरू कर दिया। वर्ष 1991 में उन्होंने रावण का अभिनय किया। रावण का किया गया अभिनय लोगों द्वारा खूब सराहा गया। जहाँ उनके प्रतिद्वंदी बाणासुर के रूप मे स्व.कुंज विहारी पांडेय थे। उसी साल उन्होने ग्राम सांखाहारी के मंच पर अभिनय किया। जिसमें बाणासुर धनेस शुक्ला, जनक रमेश त्रिवेदी, विश्वामित्र उमा बाबा, परशुराम कृष्ण मुरारी त्रिपाठी जैसे श्रेष्ठ कलाकारों का समागम था।सांखाहारी मे किये गए अभिनय से उनको रावण अभिनेता के रूप में पहचान मिली। इसके बाद उन्हें अन्य जगहों से रावण के अभिनय के लिए बुलावा आने लगा और वह दशानन के सफल अभिनेता के रूप में प्रसिद्ध होने लगे। सुप्रसिद्ध रावण अभिनेता एवं पत्रकार अवध दीक्षित का अभिनय अन्य अभिनेताओं से अलग हटकर रहा है। जिसके चलते रामलीला क्षेत्र में उनकी अलग पहचान बनी। उन्होंने बताया कि मंच पर उनकी यह कोशिश रहती है कि सामने वाला अभिनेता अपने से श्रेष्ठ है, उसके बड़प्पन एवं सम्मान को ठेस न पहुंचे। यही वजह रही कि उनके साथ जनक अथवा बाणासुर के अभिनय में चाहे नवोदित कलाकार रहा हो अथवा मंझा हुआ खिलाड़ी। वह सभी के साथ अभिनय में रच-बस गए। जिससे उनकी अलग शैली दिखाई दी। इस दौरान उन्होने कभी भी अपने अभिनय को व्यवसायिक भी नहीं बनाया। रावण अभिनेता अवध दीक्षित ने बताया कि उन्होंने अभिनय में किसी को अपना गुरु नहीं बनाया। लेकिन पड़ोसी ग्राम तिलसड़ा निवासी सुप्रसिद्ध जनक अभिनेता शिव शंकर लाल पांडेय ने उन्हें अभिनय के लिए प्रेरित किया। बताया कि रावण के अभिनय में उन्होंने ग्राम मटियारा (बिधनू) निवासी सुंदरलाल त्रिपाठी और रायपुर (पतारा) निवासी राम प्रकाश त्रिपाठी को अपना आदर्श माना।
वहीं, बाणासुर अभिनेताओं में उन्होंने घाटमपुर निवासी स्वर्गीय तुलसीराम गुप्ता और शेखूपुर निवासी रघुवंशी के अभिनय की सराहना की।

विरासत में सिर्फ एक शिष्य तैयार किया
रावण अभिनेता अवध दीक्षित ने बताया कि रामलीला जगत में चार दशक का समय बिताने के बावजूद शिष्यों की फौज नहीं खड़ी की। बल्कि, रावण के अभिनय में शिष्य के रूप में एकमात्र ग्राम शाखाहारी (घाटमपुर) निवासी ओमप्रकाश त्रिवेदी को तैयार किया है। जिसका वर्तमान में उत्तर भारत में परचम लहरा रहा है। रावण अभिनेता अवध दीक्षित के अनुसार उन्होंने पत्रकारिता और रामलीला में अभिनय साथ-साथ शुरू किए थे। इसमें पत्रकारिता में व्यस्त हो जाने के चलते रामलीला क्षेत्र में ज्यादा समय नहीं दे पाए। जिसके चलते वह ज्यादा चर्चित नहीं हो पाए।
बताया कि फिर भी उनके प्रशंसक उत्तर प्रदेश के अलावा देश के कोने-कोने तक है इनमें माया नगरी मुंबई भी शामिल है।
अपने ग्राम तेजपुर के मंच पर अंतिम अभिनय

रावण अभिनेता एवं पत्रकार अवध दीक्षित 31 मार्च (रविवार) को अपने ग्राम तेजपुर विकास खंड पतारा से अभिनय समापन की घोषणा कर रहे हैं।
बताया कि इस दिन होने वाली लीला मानस के प्रसंग पर आधारित होगी। जिसमें लक्ष्मण परशुराम संवाद के दौरान अगले दिन (सोमवार) की सुबह 8:00 बजे वह मंच पर रावण के अभिनय से विदाई लेने की घोषणा करेंगे।
बताया कि इस पल का साक्षी बनने के लिए उनके प्रशंसकों के साथ इष्टमित्र भी उपस्थित रहेंगे।
रामलीला मंचों पर फूहड़ नृत्य और अश्लीलता के विरोधी
रावण अभिनेता अवध दीक्षित ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीला गोस्वामी तुलसीदास जी की श्री रामचरित मानस पर आधारित है। जिसका हर प्रसंग मर्यादा से बंधा हुआ है। इसके बावजूद वर्तमान में रामलीला के नाम पर मंच से फूहड़ नृत्य होते हैं।
कहा कि रामलीला के दृश्यों को काटकर बीच में अश्लीलता परोसी जा रही है। जिससे वह व्यथित हैं। कहा कि इसी के चलते उन्होंने समय से पूर्व अभिनय त्यागने का निर्णय लिया। उन्होंने पात्रों में बढ़ रही नशाखोरी की प्रवत्ति पर चिंता जताई।.

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anas quraishi
Author: anas quraishi

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