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गौ-ग्रास योजना से रोटी, आटा व अन्य खाद्य पदार्थ एकत्रित कर गौशालाओं में गऊमाता को किया जा रहा समर्पित
हमारी संस्कृति की मान्यता है कि जिस घर में गऊ माता का निवास होता है एवं जहाँ गऊ सेवा होती है, उस स्थान पर समस्त कलेशों का नाश होता है।
कानपुर देहात : हमारी संस्कृति की मान्यता है कि जिस घर में गऊ माता का निवास होता है एवं जहाँ गऊ सेवा होती है, उस स्थान पर समस्त कलेशों का नाश होता है। लेकिन सेवा के लिए सम्पूर्ण भाव भी जरूरी है और जब तक हम आंतरिक रूप से इस बात को स्वीकार नहीं करेगें कि गाय सिर्फ एक पशु नहीं है, तब तक हम ठीक से उसकी सेवा नहीं कर पाएंगे। गाय ही साक्षात भगवान स्वरूप है इस बात को स्वीकार कर हम गऊसेवा करे तो ईश्वर की प्राप्ति भी हो जाएगी।
उपरोक्त बात जिलाधिकारी नेहा जैन ने कही, जिलाधिकारी के प्रयासों से गौ-ग्रास योजना शुरू की गयी है, इसमें ‘पहली रोटी गऊमाता के लिए’ सनातन धर्म में जहां वर्षो से यह परम्परा चली आ रही है, हमारी श्रद्धामयी इस परम्परा को पुनर्जीवित करते हुए गऊभक्तों की धार्मिक आस्था को सम्मान देने के लिए यह योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत नगर निकायों जिसमें सिकन्दरा, डेरापुर, शिवली में अच्छे से क्रियान्वयन हो रही है, इनके वाहन (रिक्शा) घर-घर जाता है और वहां से रोटी, आटा व अन्य खाद्य पदार्थ एकत्रित कर गऊभक्तों के स्नेह स्वरूप मिलने वाले इस दान को गौशालाओं में गऊमाता को समर्पित कर दिया जाता है। इस योजना को गऊभक्तों का भी पूरा स्नेह मिल रहा है।