ऐतिहासिक गंगा मेला की हुई शुरुआत, हटिया बाजार से निकला रंगों का ठेला, हजारों की तादाद में पहुंचे लोग
ऐतिहासिक रंग का ठेला में शामिल होने के लिए युवाओं में जुनून देखने को मिला हर कोई पारंपारिक पगड़ी लगाकर इस उत्साह का सहभागी बना। शहर के विभिन्न स्थानों पर पुष्प वर्षा और रंग गुलाल लगाकर हटिया होली मेला में शामिल लोगों का स्वागत किया गया।
कानपुर,अमन यात्रा : शहर में रंगोत्सव के प्रमुख केंद्र के रूप में हटिया होली मेले शुक्रवार सुबह झंडा फहराने के बाद धूमधाम से मनाया गया। हटिया स्थित रज्जन बाबू पार्क ऐतिहासिक रंग का ठेला निकाला गया। युवाओं ने एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर गंगा मेला की शुभकामनाएं दी।आजादी व हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के रंगों से रूबरू कराने वाले ऐतिहासिक मेले की कहानी भी अंग्रेजों के समय से शहरवासियों की जुबां पर रहती है। जब अंग्रेजों द्वारा होली पर रोक के बावजूद तिरंगा फहराने और रंगोत्सव का उल्लास शहरवासियों ने मनाया गया था। उसी दिन की यादों को ताजा करने के लिए प्रतिवर्ष यह उत्सव मनाया जा रहा है। देशभक्ति गीतों के बीच हटिया से सैकड़ों लोगों के बीच निकला रंग का ठेका शिवाला काहू कोठी जनरल गंज कमला टावर बिरहाना रोड आदि स्थानों से गुजर रहा है। भैंसा ठेला में बड़े-बड़े ड्रामा पर रंग भर का लोगों ने गंगा मेला का उत्साह मनाया। पुलिस प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक ने पहुंचकर रंगोत्सव मनाया और एक दूसरे को गंगा मेला की शुभकामनाएं दी।
संरक्षक मूलचंद्र सेठ ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस से पहले शहरवासियों की ओर से होली खेलकर आजादी का जश्न मनाया गया था। वर्ष 1942 में तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर ने होली पर रोक लगा दी थी। जिसका विरोध करते हुए शहरवासियों ने हटिया पार्क में होली खेली थी। इसमें 43 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। जिन्हेंं अनुराधा नक्षत्र वाले दिन रिहाई मिली थी। इसलिए अनुराधा नक्षत्र को रंग का ठेला शहर के विभिन्न मार्ग से निकालकर आजादी व भाईचारे का संदेश दिया जाता है।
ऐतिहासिक रंग का ठेला आज भी भैंसा ठेला पर निकाल जाता है। इसमें बड़े-बड़े रंग के ड्रम में भरे रंग से शहरवासी होली खेलते हैं। आजादी के गीतों व देशभक्ति के तरानों के बीच भाईचारे व एकता की मिशाल देखने को मिलती। जब हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे को गुझिया खिलाकर एकता का संदेश देते हैं।
Author: AMAN YATRA
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