वाराणसी

परोपकार व दीन, दुखियों की सेवा हीं प्राणिमात्र का सबसे बड़ा कर्तव्य-सत्यानंद रस्तोगी

प्रत्येक शुक्रवार को मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आरके नेत्रालय द्वारा बेसहारों के लिए लगता है निःशुल्क नेत्र शिविर

शिविर में 542 मरीजों ने कराया रजिस्ट्रेशन

चंदौली। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित स्वयं सेवी संगठन मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आरके नेत्रालय महमूरगंज वाराणसी द्वारा प्रत्येक शुक्रवार की भांति बेसहारों के लिए निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर आयोजित किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मातृभूमि सेवा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्री सत्यानंद रस्तोगी ने कहा कि बेसहारों एवं जरुरतमंदों को दी जाने वाली निःशुल्क सहायता हीं मानवता की सच्ची सेवा हैं। शास्त्रों में धन के 3 मार्गों दान, भोग और नाश का उल्लेख किया गया है जिसमें दान को धन की सर्वोच्च गती बताई गई है। परोपकार और दीन दुखियों की सेवा हीं प्राणिमात्र का सबसे बड़ा धर्म है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ चकिया की अध्यक्ष रीता पाण्डेय ने समाज में परोपकार, जन सहयोग के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोगों से गरीबों की सहायता हेतु आगे आने के लिए प्रेरित किया। संचालन मण्डल महामंत्री रिंकू विश्वकर्मा ने किया और पंडित रामबोला तिवारी एवं पंडित कार्तिकेय तिवारी ने आये हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर आरके नेत्रालय परिवार से डा. अमरेश उपाध्याय, डा. शहजाद, अमन विपिन, जहूर आलम, बद्री प्रसाद, नरेन्द्र भूषण तिवारी, विरेन्द्र भूषण तिवारी, अजय सिंह, संजय पाल, पिंटू मौर्य कमलेश गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।

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